Friday 10 February 2012

सोच का दायरा

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
एक किसान ने अपने खेतों में लौकी बोई ! उसने बिना कुछ सोचे - समझे एक छोटी सी लौकी की बेल समेत एक शीशे के जार में रख दिया !
फसल काटते वक्त उसने देखा की जार में राखी लौकी उतनी ही बड़ी हो सकी जितना बड़ा वो जार था !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की अपनी सोच का दायरा बढाओ जिस प्रकार लौकी उसे रोकने वाली हदों से अधिक नहीं बढ़ सकी, उसी प्रकार हम भी अपनी सोच के दायरे से आगे नहीं बढ़ पायेगे यदि हमारी सोच का दायरा छोटा है !
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा 

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