Thursday 16 February 2012

कषाय का जाल मुक्तक (४)

मुक्तक :-
आज का इंसान कषाय में किस तरह फस रहा है और उनसे निकलने का आसान मार्ग क्या है ये इस मुक्तक के माध्यम से बता रहा हू !
आज  प्राणी  गृह  जाल  में  फसते  जा  रहे  है ,
कषाय   की   पाश    में    कसते   जा   रहे   है !
कैसे    होगा    हमारा    सत्    धर्म    में   प्रवेश ,
पूजन, भक्ति और धर्म से हम बचते जा रहे है !!४!!

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