Saturday 18 February 2012

जिंदगी जीने का ढंग कविता (१)

बेवजह दिल पे बोझ ना कोई भारी रखिये
जिंदगी जंग है इस जंग को जारी रखिये
कितने दिन जिन्दा रहे इसको ना गिनिए
किस तरह जिन्दा रहे इसकी शुमारी रखिये

कोई जीता है मर मर कर
कोई पीता है दिन रात भर
ऐसे जिंदगी के रास्ते में खड़े मत होना
की जिंदगी कहने लगे जरा एक तरफ हटिये

जब आप नम नहीं तो किसी से उम्मीद मत रखिये
जिंदगी जीना है तो ऐसे जीईए
की धरती खुद रोये जब आप धरती से विदा होए

श्रेणिक जैन......................
एक छोटी सी कविता 

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