Wednesday 8 February 2012

संयम का महत्व

एक किस्सा जो मेरे ही सामने हुवा था वो आपको सुनाता हू ,
की एक इंसान जो खुद महाराज जी के पास बैठ के संयम धारण करने के बारे में बड़ी बड़ी बातें कर रहा था वही इंसान जब मंदिर से बाहर आये तो पंडित जी से बड़ी ऊँची ऊँची आवाज़ में बात कर रहे थे !
पूछने पर पता चला की पंडित जी जब मंदिर जी को पानी से साफ़ कर रहे थे तो उन सज्जन की चप्पल के उप्पर भी थोडा सा पानी गिर गया था जिसे देख के सज्जन एक दम गुस्से से आग बबूला हो रहे थे !
तो सोचिये जो इंसान महाराज जी के आगे तो संयम की इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे वो ही कितना संयम का पालन कर रहे थे की एक ज़रा से पानी की वजह से इतना भडकने लगे !!!
तो श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की संयम का मतलब सिर्फ बड़ी बड़ी बातें करना ही नहीं उसको अपने अंदर धारण करना भी है !

ओम् नमः सबको क्षमा सबसे क्षमा
पाप क्षय पुण्य जमा 

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