Tuesday 7 February 2012

अंतरमन की आवाज़

मैंने एक बात हमेशा सीखी है की इंसान खुद ही अपना सबसे बड़ा गुरु होता है अगर इंसान अपने अंतर मन या अपनी अंतर आत्मा की आवाज़ सुन ले तो उसे भक्त से भगवान बनने मै वक्त नहीं लगेगा इसे मै एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करता हू
एक शिष्य से उसके गुरुदेव कहते है की "जाओ कही से चोरी करके लाओ और ध्यान रहे चोरी करते तुम्हे कोई देख ना ले ."
इतना सुनते ही शिष्य चला जाता है और 2-3 दिन बाद जब लौट के आता है तो खाली हाथ होता है !
ये देखकर गुरु पूछते है " क्या हुवा कुछ चोरी करके क्यों नहीं लाए ?"
शिष्य कहता है "की हे गुरुवर मै चोरी करने गया तो था और इस बात भी बेहद ध्यान रख रहा था की मुझे कोई देख ना ले लेकिन जैसे ही मै चोरी करने लगा मुझे ध्यान आया की मै खुद तो अपने आपको देख ही रहा हू "
ये सुनते गुरुवर का दिल खुशी से भर आया और शिष्य को गले से लगा लिया
तो दोस्तों श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की भक्त से भगवान बनने के लिए अंतरमन की आवाज़ सुनने भर की देर है !!!!!

No comments:

Post a Comment