हर जैन की आत्मा णमोकार महामंत्र की महिमा
अक्षर पैतीस शुद्ध हद्य में धराई
नरभव तेरो सुफल होत पातक टर जाई
विधन जासो दूर होत संकट में सहाई
कल्प वृक्ष कामधेनु चिंतामणि जाई
रिद्धी, सिदि पारस तेरो प्रगटाई
मंत्र जंत्र तंत्र सब जाहि से बनाई
सम्पति भण्डार भरे अक्षय निधि आई
तीन लोक माही, सार वेदन में गाई
जग में प्रसिद्ध धन्य मांगलिक गाई
No comments:
Post a Comment