Wednesday 29 February 2012

हिंसा और अहिंसा

विचार :-
कुछ लोग सिर्फ शारीरिक कष्ट को ही हिंसा का रूप समझते है लेकिन आपको शायद पता नहीं लेकिन शारीरिक कष्ट पहुँचाना ही नहीं अपितु किसी को मानसिक रूप से कष्ट पहुँचाना भी हिंसा का ही रूप है!
जब हम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो हमे किसी का जीवन लेने का हक किसने दे दिया  ! हमें किसी भी जीव की हिंसा करने का कोई हक नहीं है ! जीवन जाना (मरना) और नए जीवन की उत्पति ( पैदा होना ) ये सब जीव के कर्मो से निर्धारित होता है और हमें किसी के कर्मो में हस्तक्षेप करने का हक किसने दे दिया !
छोटे में समझाऊ तो विचार या कार्य से किसी भी जीवित प्राणी को हानि न पहुँचने देना ही अहिंसा है !
श्रेणिक जैन..................

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