Monday 30 April 2012

आदिनाथ भगवान

फोटो :-
मंगीतुंगी जैन तीर्थ में विराजमान आदिनाथ भगवान


रिश्ते नाते का टूटना मुक्तक (14)

मुक्तक (14) :-
मत  ढूढ़  सहारे  दिल  सहारे  टूट  जाते  है,
जोश लहरों का आता है तो किनारे टूट जाते है !
करो   संकल्प   चारित्र   का   तो   निश्चय   है,
की   रिश्ते   नाते   सभी   टूट   जाते   है   !!

Sunday 29 April 2012

दुःख एवं उसे दूर करना

विचार :-
मेरे विचार से हमे जितना हो सके किसी भी दुखी की मदद करने के लिए तत्पर रहना चाहिए !
दुखी पर दया करना मानवता है, उसका दुःख किसी भी प्रकार से और जहा तक समर्थ हो सके दूर करना महानता है और दुःख का मूल कार्य यानि कर्म रोग जो आज आत्मा में रम रहा है उसे दूर करना भगवत्ता है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


पापों का प्रायश्चित

विचार :-
मेरे विचारों से हमे कभी भी अपने पापों को छिपाना नहीं चाहिए, जो आपने किया है उसे अपने दिल से स्वीकार करे, अगर मुझसे पूछो तो मेरा मानना है की पाप अगर किया है तो उसे दिल से मान लेने पर ही हमारे पाप का कुछ भाग तो अपने आप धुल जाता है !
पाप को प्रकट करो और उसका प्रायश्चित करो जिससे उस पाप का बोझ कुछ कम हो सके, अरे ये तो सोचो ना की दूसरों से तो एक बार को तुम छुपा सकते हो लेकिन क्या कभी खुद से छुपा सकते हो .......?? कभी नहीं......!!!!


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Saturday 28 April 2012

विचार की महत्ता

विचार :-
मेरे विचार से आँख का अंधा संसार में सुखी हो सकता है, किन्तु विचार का अंधा कभी भी सुखी नहीं रह सकता ! विचार के अंधे को किये हुवे कर्म भी सुखी नहीं बना सकते !
विचार - विवेक रूपी महल की नीव होती है ! मुझे बाइबिल में लिखी एक बहुत सुन्दर लाइन  याद आती है - "मनुष्य हमेसा वैसे ही बना रहता है जैसे उसके विचार होते जाते है " ! उस पर बहारी वस्तुओ का इतना असर नहीं पड़ता जितना उसके खुद के विचारों का पड़ता है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे सिर्फ एक बात कहना चाहता है की हमेसा अपने विचारों को शुद्ध बनाये रखो आपका अंतर मन अपने आप निर्मल बनता चला जायेगा !
श्रेणिक जैन

जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

विवेक

विचार :-
आज मै आपको विवेक और उसकी महत्ता के बारे में बताना चाहता हू......
विवेक का अर्थ मेरे विचार से होता है पूर्ण जागरूकता ! अच्छा क्या है और बुरा क्या है किसे ग्रहण करना और किसे नहीं इसका पूर्ण ज्ञान करना ही विवेक है ! विवेक जीवन की संजीवनी बूटी है ! जीवन की हर एक प्रवर्ति अर्थात खाने में, पीने में, बोलने में, चलने में, सोने में, उठने-बैठने में जो विवेक बुद्धि रखता है, सजग रहता है, वह अपना जीवन धन्य कर लेता है ! विवेक धर्म का मूल है ! हर कार्य विवेक से ही करना चाहिए !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Friday 27 April 2012

तन और मन के रोग एवं आत्मा का जागना

विचार :-
आज हमारे तन में जितने रोग नहीं है, उससे कही अधिक रोग हमने अपने मन में पाल रखे हैं ! हमारा चिंतन सकारात्मक कम और नकारात्मक अधिक हो गया है ! मेरा मानना है की हमारे जीवन के प्रति यही सोच हमारे जीवन की कश्ती को डुबो देगी !
अभी भी हमारे पास वक्त है वो कहते है ना की " जब जागो तभी सवेरा " इसीलिए ये श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की हम जागे, अन्धकार से बाहर निकले और जीवन को सवारने का प्रयास करें ! जिस दिन अपने आप को हम जगा लेंगे, उसी दिन हमारी आत्मा जाग जायेगी ! जिस प्रकार बादल हट जाने से जैसे आकाश निर्मल हो जाता है उसी प्रकार अज्ञान के अँधेरे के हटने से हमारी आत्मा भी निर्मल हो जायेगी !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 25 April 2012

मृत्यु एक शिक्षा

विचार :-
हर व्यक्ति जानता है की उसे एक ना एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना ही है लेकिन ना जाने क्यों फिर भी वो मृत्यु से भयभीत रहता है, लेकिन मेरे विचार से मृत्यु भय का नहीं शिक्षा का विषय है !
क्या कभी किसी जीवन की लालसी मनुष्य ने ये सोचा है की यदि मृत्यु ना होती तो संसार का हाल क्या होता आप खुद सोचिये यदि बगीचे में हर रोज़ नए फूल खिलते और पुराने मुरझाते ही ना तो क्या होता, यदि विभिन्न नदी नालो का पानी कभी खत्म होता ही ना तो क्या होता, यदि एक स्टेशन (station) पर यात्री सिर्फ आते ही रहते और कोई भी ट्रेन में नहीं चड़ता तो सोचो क्या होता उस स्टेशन का !
संसार का दुखी से दुखी व्यक्ति भी मारना नहीं चाहता अरे मृत्यु तो अटल और जन्म से ही जुडी होती है और हमेसा परछाई की तरह साथ साथ चलती है ,जब हम ये जानते ही है की मृत्यु आनी ही है और अटल है फिर हम क्यों अपने जीवन को सार्थकता की तरफ क्यों नहीं ले जाते क्यों अपने मनुष्य जन्म को सार्थक नहीं बनाते !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

मनुष्य होना और मनुष्यता सीखना

विचार :-
बहुत से लोग मनुष्य होकर ही अपने आपको धन्य मानते है पर मेरे विचार से मनुष्य होना और मनुष्य होकर मनुष्यता रखना एक अलग बात है !
जीवन बेशक एक यात्रा है, जिसमे चलना ही चलना है लेकिन मेरे विचार से हम सब का मनुष्य होना हमारे लिए एक अवसर है -स्वयं को पहचानने का, स्वयं के होने का और स्वयं को पाने का क्योकि मनुष्य होकर ही स्वयं को पाया जा सकता है परमात्मा बना जा सकता है ! और रही बात जीने की तो पशु भी जीते है लेकिन उनमे वो ज्ञान नहीं जो हम मनुष्य में है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आप सब से कहना चाहता है की अगर प्रभु ने या हमारे अपने कर्मो से हमे मनुष्य जन्म मिला है तो उसका सदुपयोग करे दुर्प्रयोग नहीं !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


Monday 23 April 2012

जवानी और बचपन के मोल

विचार :-
आज अपनी ही लिखी कुछ पंक्तियाँ याद आती है
की
कुछ इस तरह हुवे है बड़े हम भगवान
भूले वो अपने बचपन की हर एक बात

कैसे छोटी सी एक चोट के लिए माँ का पल्ला ढूढती आखे
कैसे सारे गम भूला देती थी उसकी वो प्यार की फ्हाके

आज वही माँ पड़ी है एक कोने में
आज उसका आशीर्वाद भी घुटन है

क्यों नहीं काट दी वो जबान जिसने उसके दिल पर चलायी वो तलवार
क्यों नहीं काट दिये वो हाथ जो उसके बुढ़ापे को दे भी ना पा रहे पतवार

क्या कभी २ प्यार के बोल भी नहीं बोल सकते उससे हम
क्या उसने कभी इससे ज्यादा मागा जो दे ना पाए हम

पत्नी तो सिखाती रही और माँ रात भर एक कोने में रहती है रोती
अरे लानत है ! ऐसी जिंदगी पर जो दे भी ना पा रही उसे २ वक्त की रोटी

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Sunday 22 April 2012

जेन की महत्ता


एक ज़ेन शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया, “ज़ेन में ऐसा क्या है जो बहुत बुद्धिमान लोग भी इसे समझ नहीं पाते?”

ज़ेन गुरु उठे, उन्होंने एक पत्थर उठाया और पूछा, “यदि झाड़ियों से एक शेर निकलकर हमारी ओर बढ़ने लगे और हमपर हमले के लिए तैयार हो तो क्या इस पत्थर से हमें कुछ मदद मिलेगी?”

“हाँ, बिलकुल!”, शिष्य ने कहा, “हम यह पत्थर उसपर फेंककर उसे डरा सकते हैं और जान बचाने के लिए भाग सकते हैं, लेकिन इस सबका ज़ेन से क्या लेना….”

“अब तुम मुझे बताओ”, गुरु ने शिष्य से पूछा, “यदि मैं तुम्हें यह पत्थर फेंककर मारूं, क्या तब भी इसकी कोई उपयोगिता है?”

“हरगिज़ नहीं!”, शिष्य ने हैरान होकर कहा, “यह तो बहुत ही बुरा विचार होगा. लेकिन इसका मेरे प्रश्न से क्या संबंध है?”

गुरु ने पत्थर नीचे गिरा दिया और बोले, “हमारा मन बहुत शक्तिशाली है पर वह इस पत्थर की ही भांति है. इसे अच्छाई और बुराई दोनों के लिए ही प्रयुक्त किया जा सकता है”.

“ओह”, शिष्य ने कहा, “इसका अर्थ यह है कि ज़ेन को समझने के लिए अच्छा मन होना चाहिए”.

“नहीं”, गुरु ने कहा, “केवल पत्थर गिरा देना ही पर्याप्त है”.

जैन की परिभाषा

विचार :-

जो स्वयं को अनर्थ हिंसा से बचाता है।
जो सदा सत्य का समर्थन करता है।
जो न्याय के मूल्य को समझता है।
जो संस्कृति और संस्कारों को जीता है।
जो भाग्य को पुरुषार्थ में बदल देता है।
जो अनाग्रही और अल्प परिग्रही होता है। जो पर्यावरण सुरक्षा में जागरुक रहता है।
जो त्याग-प्रत्याख्यान में विश्वास रखता है।
जो खुद को ही सुख-दःख का कर्ता मानता है।
संक्षिप्त सूत्र- व्यक्ति जाति या धर्म से
नहीं अपितु, आचरण एवं व्यवहार से जैन कहलाता है।

न्यायप्रियता और क्रोध - मुंशी प्रेमचंद

विचार :-
मुंशी प्रेमचंद की चंद पंक्तियाँ मुझे बेहद पसंद है ! प्रेमचंद जी के अनुसार -"न्यायप्रिय स्वभाव के लोगो के लिए क्रोध एक चेतावनी होता है, जिससे उन्हें अपने कथन और आचार की अच्छाई और बुराई को जाँचने और आगे के लिए सावधान हो जाने का मौका मिलता है ! इस कड़वी दवा से अक्सर अनुभव को शक्ति, दृष्टि को व्यापकता और चिंतन को सजगता प्राप्त होती है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा सबसे क्षमा सबको क्षमा
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा 

Saturday 21 April 2012

सामायिक का महत्व

विचार :-
आज मैं आपको सामायिक का महत्व बताने जा रहा हू !

सामायिक का लाभ

1. समता पूर्वक करने से 92 करोड़ 59लाख 24हजार 925पल्योपम (अर्थात् असंख्य वर्ष) जितना देव आयुष्य का बंधन होता है।

2. सामायिक करने से चार प्रकार के धर्म का पालन होता है।
  a. दान धर्मः- चौदह राजलोक के 6 कायिक जीवों को अभयदान मिलता है।
  b.शील धर्मः- सामायिक में शीलव्रत का पालन होता है। बालको से बालिका या स्त्री का एवं बालिकाओं से बालकों या पुरुष का स्पर्श नही किया जा सकता ।
  c.तप धर्मः- सामायिक में चारों प्रकार के आहार का त्याग होने के कारण तप धर्म तथा काय क्लेश रुपी तप होता है।
  d.भाव धर्मः- सामायिक की क्रिया भावपूर्वक करनी होती है। इस प्रकार चारों धर्मो की आराधना हो जाती है।

3. 20 मन की एक खंड़ी होती है-ऐसी लाख लाख सोने की खंडी एक लाख वर्ष तक प्रतिदिन कोई दान दे और दूसरा कोई एक  सामायिक करें तो वह दान देने का पुण्य सामायिक के बराबर नहीं आ सकता।

4. नरक गति के बंध को तोडने की ताकत सामायिक में है ।

5. श्राद्ध विधि प्रकरण ग्रंथ में लिखा हुआ है कि घर के बजाय उपाश्रय में सामायिक करने से एक आयंबिल तप का लाभ प्राप्त होता है।

6. जो जीव मोक्ष में गए है, जाते है तथा जाएंगे, यह सब सामायिक का प्रभाव है।

Thursday 19 April 2012

भष्टाचार के खिलाफ मुहीम

विचार :-.


भ्रष्टाचार होता वहाँ, भ्रस्टाचारी होते जहाँ

जहाँ होंगे भ्रष्टाचारी वहाँ भ्रष्टाचार तो होगा ही, ज़ाहिर से बात है

गर न होंगे भ्रष्टाचारी, तो कैसे होगा भ्रष्टाचार, सीधी सी बात है

कभी नहीं हुआ, वैसा अब हो रहा घोर भ्रष्टाचार, शर्म के बात है

भ्रष्टाचारीयों की हाथों चली गई है ताकत, बड़े दुर्भाग्य की बात है

भ्रष्टाचारी बड़े अत्याचारी, लूटपाट करना ही उनकी अपनी आदत है

रोने चिल्लाने से नहीं मिटनेवाला सब अत्याचार, पुरानी कहावत है

जनता के हाँथ असली शक्ति इनको मिटने की, प्रजातंत्र की बात है

नहीं सुनना भ्रष्टों की चिकनी चुपड़ी बाते, यह महा ज्ञान की बात है

सबको मारे काटे जान से, क्या हमारी यही माँ भारती को सौगात है !

श्रेणिक जैन

उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

प्राथमिकता किसे ?

विचार :-
आज आपके सामने एक सच्ची घटना रख रहा हू पढ़ कर आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा !
एक बार एक महात्मा ( नाम मै नहीं बताना चाहता ) ने एक दिन वेश्या के विशेष आग्रह पर , उसके घर पधार कर धर्मोपदेश का आमंत्रण स्वीकार किया ! शिष्य समुदाय में काना-फूसी के चलते एक शिष्य ने अपनी भड़ास गुरु जी के समक्ष रख दी "गुरूजी उद्धार करना है तो सज्जनो की क्या कमी है जो आप दुर्जनों के यहाँ जाकर बदनामी करवा रहे है !"
महात्मा जी पलट के बोले "यदि तुम चिकित्सक होते तो जुकाम पीड़ित और शास्त्राहित रोगी (अत्यधिक बीमार ) में से किसे फले उपचार करते "
शिष्य बोला -"शास्त्राहित रोगी को "
महात्मा जी ने तपाक से उत्तर दिया -" मैं भी तो वही कर रहा हू, अगर मैं कम पापी की तुलना में अधिक पापी को सुधारने का प्रयास कर रहा हू तो इसमें मेरी क्या भूल "
इतना सुनते है शिष्य एकदम चुप हो गए !
जब वेश्या (नाम नहीं बता सकता ) ने ये बात सुनी तभी उसे संसार से विरक्ति हो गयी और उन्होंने भी दीक्षा ले ली
ये एक दम सच्ची घटना है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 18 April 2012

अज्ञान सबसे बड़ा दोष

विचार :-
मेरे विचार से अज्ञान ही सबसे बड़ा दोष है क्योकि जब तक इंसान को ज्ञान नहीं वो तब तक अच्छे हो बुरे में फर्क नहीं समझ सकता ! अज्ञानी व्यक्ति हमेसा अपने किये हुवे को ही सही और दूसरे के किये को गलत समझता है !
लेकिन ऐसा कभी नहीं समझना चाहिए की पढाई - लिखाई या यु कहे की लोकिक शिक्षा ही ज्ञान देती है मैंने कभी ऐसा नहीं माना, बल्कि मेरा तो सिर्फ एक ही मानना है की सच्चा ज्ञान इंसान की सीखने की इच्छाशक्ति और उसके आचरण से आता है !

सही पथ और विकास

विचार :-
मेरे विचार से हम अगर विकास के पथ पर बढ़ना चाहते है तो हमे सिर्फ एक चीज़ ध्यान में रखनी होगी की हम जिस पथ पर चल रहे है वो पथ सही है या नहीं क्योकि अगर हमारा मार्ग सही है तो चाहे जितनी भी मुस्किले क्यों ना आ जाये अंत में जीत हमारी ही होगी,
क्योकि अगर हमारे मन में किसी को धोखा देने का उद्देश्य नहीं है तो हम अवश्य ही एक ना एक दिन हर मुश्किल से निकल कर सफलता को पा लेगे !

Tuesday 17 April 2012

क्या कभी नहीं संभल सकता ?

विचार :-
मेरे विचार में ३ चीजे कभी संभल नहीं सकती
१.आँख से गिरा आँसू
२.नज़रों से गिरा इंसान
३.आस्था से गिरा आस्तिक

मोक्ष का रास्ता

विचार :-
मेरे विचार से मोक्ष का रास्ता उन्ही के लिए खुलता है जिनका प्रभु और गुरु के साथ साथ खुद में विश्वास होता है !
जिस प्रकार हमे अपनी आस्था बनाये रखनी चाहिए ठीक उसी प्रकार हमे किसी आस्तिक की आस्था को भी नहीं तोडना चाहिए ! मकान तोड़ देना, घर तोड़ देना और चाहो तो मस्जिद भी तोड़ देना परन्तु कभी भी किसी की आस्था मत तोडना क्योकि ये चीजे तो टूट कर दुबारा भी बन जायेगी पर एक बार आस्था टूट गयी तो दुबारा नहीं जुड पायेगी !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

जीवन में आस्था का महत्व

विचार :-
मेरे विचार से जिंदगी में आस्था का बड़ा ही महत्व है मेरा मानना है की जितना फर्क इंसान की आस्था का इंसान की जिंदगी पर पड़ता है उतना शायद किसी और नहीं पड़ता !
बहुत बार देखा भी गया है और बहुत से लोग मानते भी है की इंसान जब बीमार होता है तो उसे दवा से ज्यादा उसकी खुद की जीने की शक्ति और खुद पर उसका विश्वास जिन्दा रखता है !
इसीलिए हमे अपने अंदर विश्वास हमेसा बनाये रखना चाहिए !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Monday 16 April 2012

निर्यात किसका ?

विचार :-
मुझे किसी का कहा एक विचार बहुत पसंद है की वो लिखते/ लिखती है :-
हमे अपने देश को इतना सम्पन्न बनाना चाहिए की हम देश से दूध और घी का निर्यात कर सके , ना की उन्हें प्रदान करने वाली अपनी गाय का !
और अगर कुछ भी ना मिले निर्यात करने को तो हमे इन भ्रष्ट नेताओं का निर्यात करना चाहिए जिससे और कुछ ना सही तो कम से कम देश भ्रष्टाचार मुक्त हो सके !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Sunday 15 April 2012

मुक्तक (13)

मुक्तक (13)
जीवन में कभी श्रद्धा का फूल खिला नहीं पाए ,
जीवन में कभी ज्ञान का दीप जला नहीं पाए !
भटकते  ही  रहे  असार  संसार  में  मेरे  बंधू ,
"महावीर" ज्ञान ज्योति से ज्योति मिला नहीं पाए !!

श्रेणिक जैन

व्रत का महत्व

विचार :-
कुछ लोग कहते है की व्रत करने से सिर्फ शरीर को कष्ट पहुचता है इससे और कुछ नहीं प्राप्त होता लेकिन मेरा मानना है की व्रत या अनशन से बहुत कुछ होता है और अनशन तप से ही कर्मो की असली निर्जरा ( कर्मो का घटना ) होती है !
मेरा मानना है की वास्तव में अनशन तप ही कर्म की निर्जरा का कारण है ! भगवान महावीर ने 12 वर्ष तक अनशन तप किया और कर्मो की निर्जरा कर मोक्ष का वरण किया था ! मै ये नहीं कहता की हमे भी १२ वर्ष तक अनशन तप करना चाहिए लेकिन यथा शक्ति हमें भी व्रत और उपवास आदि करते रहना चाहिए और संयम धारण करना चाहिए !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Saturday 14 April 2012

आखो देखी

विचार :- एलाचार्य निशंक भूषण जी महाराज की आखो देखी एक घटना आपके सामने रख रहा हू आज ध्यान से पढ़ना !
एक बहन जी थी वो खेती किया करती थी उनके चार खेत थे वैसे तो सब चीजे खेती से प्राप्त हो जाती थी लेकिन अगर कुछ कमी होती थी तो वो उस वस्तु से अधिक की कोई वस्तु देकर किसी भी वस्तु को ले आती थी क्योकि उनका मानना था की जिस प्रकार मुझे मेरी वस्तु प्यारी है उसी प्रकार दूसरों को भी वो वस्तु प्र्यारी होगी !
यदि कोई उनके पास आकर भी कोई वस्तु मांगता था तो वो बड़ी विनम्रता से उसे दे देती थी और मूल्य भी नहीं लेती थी और कहती थी की यदि आप मुझे रुपये देगे तो आपस का भाईचारा ही खत्म हो जायेगा और वह सभी से वात्सल्य पूर्वक व्यवहार करती थी !
एक बार गांव में खूब बारिश हुई आसपास के सारे खेत बरबाद हो गए मगर बहनजी के चारों खेतों को आंच भी नहीं आई !
इसीलिए मै कहता हू की हमे जो कुछ भला या बुरा भोगना पड़ता है या पड़ रहा है वह सब हमारी ही करनी का फल होता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

सब्जी वाली ने बनवाया अस्पताल

विचार :-

सचमुच में कुछ कर गुजरने वालों को
न वक़्त रोक पाया है और न तकदीर........


Friday 13 April 2012

जलियाँवाला बाग के शहीदों को नमन

विचार :- ( सोमा जैन )

आज के दिन जलियांवाला बाग के नरसंहार मे शहीद हुए शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि और उन्हें कोटि कोटि नमन

उसने याद नहीं किया तो मै क्यों करू ?

विचार :-
मैंने बहुत से लोगो को देखा की वो कुछ लोगो से बहुत लंबे समय तक नाराज़ रहते है कुछ तो लोगो को यहाँ तक पता नहीं होता की वो उससे किस बात को लेकर नाराज़ है ! कई बार दोनों में सिर्फ इस बात को लेकर बात नहीं हो पाती की उसने मुझसे बात नहीं की तो मै क्यों करू !
श्रेणिक आपसे सिर्फ इतना कहना चाहता है की एक दिन ऐसा आएगा की हम सिर्फ ये सोचकर एक दूसरे को खो देगे की जब उसने मुझे याद नहीं किया तो मै क्यों करू !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Thursday 12 April 2012

भष्टाचार खत्म करने का तरीका

विचार :-
आज देश का क्या हाल हो रहा है वही आपके सामने रख रहा हू और आपसे एक अपील भी करना चाहता हू !
किसी ने तंग आकर अपनी नोकरी, कोई तंग आ गया है राजनीति से और किसी ने तंग आकर जीना ही छोड़ दिया.... अच्छे और इमानदार लोग क्या इसलिए वो हर जगह को छोड़ देते है, क्यों की वहाँ भ्रष्टाचार, अपराध व असमानता होती है ?
नहीं ! मैं ऐसा नहीं मानता हु ... बल्कि वो इसलिए छोड़ देते है, क्यों की कोई उनका साथ नहीं देता ... मेरा तो ये मानना है की हम सब ऐसे लोगो के साथ खड़े रहे जो इनसे लड़ने का प्रयास करते है, ताकि हम ऐसे अच्छे इंसानों को उखड़ने से बचाते हुए असली बीमारी को समाज और अपने देश में जड़ो से उखाड़ सके !
बस,एक इमानदार कोशिश की जरूरत, ऐसे लोगो का साथ देने की.... जय हिंद !

चांदी का वर्क


विचार :-
क्या आपको पता है की आप जिस चमकीले रंग की मिठाई खा रहे हैं उसमे गाये, बैल आदि पशुओ की चीखें मिली हुई हैं ???????
हाँ मित्रों मिठाई के ऊपर जो चाँदी के रंग का आवरण चढ़ाया जाता है वो सच मे इन्ही पशुओ की हत्या करने के बाद उनके शरीर के अंगों से बनाया जाता है !


क्यों मित्रों रह गए ना भौंचक्के ????
मेरी भी यही मनोदशा हो गयी थी जब मैंने इस बात की जांच की,
और अंत मे यह निष्कर्ष निकला की हाँ, यह सत्य है !

अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जाकर सत्य को जान सकते हैं
http://goo.gl/Uvuh1
तो जाग जाओ मित्रों और आज से इस तरह की मिठाइयों का बहिष्कार करो !
यह हमारे आप जैसे शाकाहारी मित्रों को मांसाहारी बनाने का एक बहुत ही भद्दा प्रयास है
अभी भी नहीं जागे तो फिर तो धर्म भ्रष्ट होना निश्चित है,
जागो जागो !

Mother ( माँ )


******WE SALUTE YOU MOTHER*********
This picture is taken at Guwahati Inter State Bus Terminal. The weight of this boy is around 90 KG, he is mentally and physically ill. He even can’t walk. You can see how his mother is carrying him…???? Can you believe this!!!


I salute all mothers in this world!!!! Mom you are Great!!!!!

Wednesday 11 April 2012

पाप के भेद और ना करने का संकल्प

विचार :-
मित्रों मै आज आपको पाप के 18 भेद बताने जा रहा हू
१.प्रणतिपात- जीव हिंसा
२.मृषावाद- झूठ बोलना
३.अदतादान - चोरी करना
४.मैथुन -कुशील या अभ्रमचार
५.परिग्रह- आवश्यकता से अधिक जोड़ने की इच्छा करना
६.क्रोध - गुस्सा करना
७.मान- धमंड करना
८.माया - छल करना
९.लोभ - लालच करना
१०.राग - किसी से मोह करना
११.द्वेष- किसी से इर्ष्या करना
१२.कलह - झगडा रखना
१३.अभ्याख्यान - कलंक लगाना
१४.पैशुन्य- चुगली करना
१५.पर-परिवाद -दूसरों की निंदा करना
१६.रति-अरति -धर्म में मन ना लगना और ही काम में लगे रहना
१७.माया मरिषावाद -कपट रख कर झूठ बोलना
१८.मिथ्यादर्शनशल्य -गलत श्रद्धा रखना


श्रेणिक जैन का तो बस इतना ही कहना है की हमें इन पापों से बचना चाहिए और बचने के लिए बस हमारी इच्छा शक्ति मजबूत होनी चाहिए ! और इसके लिए हमे मन में ये याद रखना चाहिए की पाप किस में है और पाप को कम करने के लिए हमे निरंतर प्रयास करना चाहिए हमारे आधे पाप तो इसी से खत्म हो जायेगे और बाकि आधे हमारी इच्छा शक्ति से खत्म होगे अगर हम ये ठान ले की जितना हो सकेगा पाप कम से कम करेगे ! ये मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Tuesday 10 April 2012

अच्छे इंसान की तलाश

विचार :-
मैंने बहुत से लोगो को देखा की जब भी उनसे पूछो तो वो कहते है की मै एक अच्छे दोस्त की तलास कर रहा हू पर मेरा कहना इससे एक दम उलट है !
मेरे विचार से हमे किसी अच्छे इंसान की तलाश को छोड कर खुद अच्छे बनने की कोशिश करनी चाहिए क्योकि हो सकता है ऐसा करने से किसी और की तलाश खत्म हो जाये !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


गुरु की संगत और खुश नसीबी

विचार :-
दुनिया में गुरु जिनके करीब होते है
दुनिया में वो लोग खुशनसीब होते है 

सब पाने की ख्वाइस मुक्तक.... (12)

मुक्तक ...(12)
अपने गमो की यु नुमाइश ना कर ,
अपने नसीब की यु अजमाइश ना कर !
जो तेरा है तेरे दर पर खुद आएगा ,
हर रोज़ उसे पाने की अजमाइश ना कर !!

गुरुवर का आशीर्वाद मुक्तक...(11)

मुक्तक (११)
जिन्हें चाहिए दौलत उन्हें गुरुवर दौलत दे दो
जिन्हें चाहिए सौहरत उन्हें गुरुवर सौहरत दे दो
मै चाहू गुरुवर अपने सच्चे दिल से
गुरुवर मुझे अपने दर्शन दे दो ...........

Monday 9 April 2012

जीव हिंसा का पाप और सोच

विचार :-
आपसे अनुरोध की आप इसे एक बात पूरी पढ़े और खुद विचार करे........!!!
मै आज आप सब लोगो को एक कहानी के माध्यम से ये बताना चाहता हू की जीव हिंसा चाहे वो जान बुझ कर की हो या अनजाने में, या फिर  जीव हिंसा का भाव ही कितना दुःख देता है !
एक हिंदू कथा के अनुसार :-

जब भीष्म शरशैया पर पड़े थे तो कृष्ण उनसे मिलने आये तो भीष्म बोले कृष्ण मैंने ऐसे कौनसे पाप किये हैं जिनकी इतनी बड़ी सजा मिली. मेरा पूरा शरीर तीरों से बिंधा पड़ा हैं. प्राण निकल नहीं रहे हैं....दर्द इतना हैं की शब्दों में नहीं कहा जा सकता..
कृष्ण ने कहा सब पूर्व जन्मो का फल हैं.तुम अपना 101 वां जन्म देखो !
भीष्म ने देखा की वो अपने रथ से जा रहे थे..आगे सिपाही थे..एक सैनिक आया और बोला महाराज मार्ग में एक सर्प (सांप) पड़ा हैं. रथ उसपर से गुज़र गया तो वह मर जायेगा.
भीष्म ने कहा नहीं वह मरना नहीं चाहिए...एक काम करो उसे किनारे फेंक दो. सैनिक ने उसे भाले से उठा कर खाई में फेंक दिया. वह सर्प खाई के एक कंटीले वृक्ष में उलझ गया. जितना प्रयास उससे निकलने को करता उतने ही कांटे उसके शरीर में घुस जाते. कई दिनों तक उन्ही कांटो में फंसे रहने के बाद उसके प्राण निकले...
तब कृष्ण ने कहा पितामह ये तो आपके द्वारा किया वह पाप था जो अनजाने में हुआ...उसका परिणाम इतने जन्मो बाद भी आपको भोगना पड़ रहा हैं...
तो श्रेणिक जैन आप लोगो से कहना चाहता है सोचिये जो लोग जान बूझ कर जीव हत्या करते हैं उनकी क्या दशा होगी ? आप खुद ही सोचिये ना की कोई धर्म नहीं कहता की जीव हत्या करो...छुरी चलते वक़्त उस जीव की तड़प को महसूस करें...उसकी वेदना, पीड़ा, कराह आपको सिर्फ बद-दुआ ही दे सकती हैं दुआ नहीं...
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

बुराई v/s अच्छाई

विचार :-( ये मेरे दोस्त ने लिखा था मैंने कुछ बदल कर लिखा है )
मेरा मानना है की इंसान पर संगत का बहुत बुरा असर पड़ता है क्योकि मै जहाँ तक सोचता हू तो अगर आप अच्छे है तो आप सौ (100) लोगो को भी अच्छा बना सकते है लेकिन बुरा होने के लिए हज़ारो लोगो में सिर्फ एक इंसान चाहिए मतलब अगर आप बुरे है तो आप हज़ारो लोगो को बुरा बना सकते है !
जिस प्रकार यदि आप एक कुवे में 50 बोरी शक्कर डाल दो लेकिन उसका जल मीठा नहीं हो सकता लेकिन यदि आप उसी कुवे के जल में सिर्फ 100 ग्राम जहर डाल दो तो वो जहर पुरे कुवे को जहरीला बना देगा !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र जी
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Sunday 8 April 2012

धन या लक्ष्मी की चंचलता

विचार :-
मैंने बहुत से अमीर लोगो को देखा की वो हमेसा निश्चित होते है और समझने लगते है की उन पर तो कुबेर ( चिरपरिचित कथा के अनुसार  धन और वैभव के देव ) या लक्ष्मी ( चिरपरिचित कथा के अनुसार धन और वैभव की देवी ) तो उन पर महरबान है और अब उन पर तो कभी मुसीबत आ ही नहीं सकती लेकिन मेरे विचार से ये नजरिया गलत है !
क्योकि मेरे विचार से तो बुरे कर्मो का उदय कभी भी हो सकता है और जैसे ही कर्मो के उदय होता है अच्छे से अच्छा इंसान रास्ते पर आ जाता है क्योकि लक्ष्मी स्वभाव से ही चंचल होती है आज यहाँ तो कल वहाँ होती है !
इसीलिए नजरिया बदले और प्रभु का नाम हमेसा याद रखे क्युकी प्रभु के नाम में ही शक्ति का वास होता है और आपको बिना मागे ही सब अपने आप ही मिल जाता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Saturday 7 April 2012

प्रार्थना भगवान से

विचार :-
मेरी तो हमेसा प्रभु से एक ही प्रार्थना होती है की भगवान अगर हम वो ना कर सके जो आप चाहते है तो हमे बस इतनी समझ दे देना की हम वो भी ना कर सके जो आप नहीं चाहते !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Friday 6 April 2012

सबसे विनती

विचार :-
मेरी आप सभी से एक विनती है की चाहे वो जैन हो हिंदू हो या कुछ और मेरी आप सबसे सिर्फ एक ही विनती है की अगर आप हम हिंदुस्तानियों को जोड़ नहीं सकते तो कम से कम इन पंथो और धर्मों के नाम पर मार काट तो मत मचाओ !
जब सब धर्म एक ही शिक्षा देते है अहिंसा, सत्य आदि सिदान्त ही सबके मूल मंत्र है तो फिर क्यों इन जातिवाद और धर्मवाद के चक्कर में पड़ रहे है हम लोग......आखिर क्यों ??
जय जिनेन्द्र
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

जिंदगी की जंग और हौसला

विचार :-
जिंदगी की जंग में कभी हारोगे कभी जीतोगे ,
कभी उठोगे कभी कभी गिरोगे,
इसके बावजूद उम्मीद जिन्दा रखना मेरे बंधू ,
हौसला बनाये रखना मेरे बंधू ,
रिश्ते नाते टूट जाए चिंता की बात नहीं,
बस अपना हौसला मत टूटने देना,
क्योकि हौसला जुड़ा रहे तो सब अपने आप जुड़ता जाएगा !

गिरना

विचार :-
कुछ लोग गुस्से में भी और प्यार में भी कितना कुछ कह जाते है जो कितना कुछ सिखा देता है मै अपने जीवन की ही एक घटना सुनाता हू :-
एक बार मेरा एक फ्रेंड परीक्षा में नक़ल करता हुआ पकड़ा गया था ! उसे स्कूल में और घर में बहुत डाट पड़ी और वो कुछ दिन बाद हमारे घर आया तो बहुत दुखी था तब पापा( क्योकि पापा को मैंने सब बता दिया था ) ने उसे समझाया की -"बेटा गलती किसी से भी हो सकती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की तुम इस तरह उदास हो जाओ और सब लोग तुम्हारी भलाई के लिए ही तुम्हे डाट रहे है इसमें उदास होने की क्या बात है ?"
और फिर नीचे तो कोई भी गिर सकता है लेकिन असली इंसान वो है जो ऐसे नीचे गिरे जैसे एक झरना गिरता है क्योकि वो नीचे तो जरुर गिरता है लेकिन अपनी सुंदरता को बनाये रखता है !
मै आज भी जब ये बात सोचता हू तो ये बात मेरे दिल को छू जाती है !

Thursday 5 April 2012

सेवा भाव सीखो हनुमान और सूर्य से

विचार :-
हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाये
आज अखबार में पढ़ रहा था और आज ही क्या आये दिन अखबार में पढता हू की एक नौकर ने मालिक को मार कर घर लूट लिया, आज यहाँ लूटा और कल वह लूटा !
क्या होता जा रहा है इस देश और देश के लोगो को, पता नहीं क्यों आखिर वो सेवा भावना जो हर नौकर के मन में मालिक के लिए हुवा करती थी कहाँ गयी वो ?
अरे अपने देश में ही देखो एक चिर-परिचित कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी जिन्होंने अपने आराध्य राम ( जिन्हें वो अपने आराध्य कहते थे ! ) के लिए अपना सीना तक चीर दिया था !
अरे............!!!! आप आज के युग में ही देखो हमारा सूर्य ( सूरज ) जो सुबह दिन निकलते ही हमारे सामने आ जाता है सबको प्रकाश देने के लिए ! फिर चाहे गर्मी हो सर्दी हो या फिर बरसात ! हर मौसम में वो नित्य प्रतिदिन प्रकट हो जाते है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

अहिंसा -प्रभु महावीर की नज़र में

विचार :-
प्रभु महावीर ने अहिंसा पर विशेष जोर दिया है और हमेसा अहिंसा की ही बात कही !
उन्होंने कहा -"जगत में जीव जितने है किसी को अन्य मत देखो, सभी को प्राण प्यारे मानो , एवं किसी पर भी अपनी वासना या अपने अहंकार आदि का जाल मत फैको !"
श्री १००८ भगवान महावीर की अहिंसा ये बताती है की अगर तुम किसी जीव को प्राण दे नहीं सकते तो उसके प्राण लेने का हक तुम्हे किस ने दे दिया !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

हिंसा का प्रतिकार अहिंसा से -भगवान महावीर

विचार :-
महावीर जन्म कल्याणक की आपको हार्दिक शुभकामनाये
भगवान महावीर का सिदान्तो में से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत जो मुझे लगता है वो ये है की अग्नि का शमन अग्नि से नहीं होता, इसके लिए जल की आवश्यकता होती है ! इसी प्रकार हिंसा का प्रतिकार कभी भी हिंसा से नहीं हो सकता है इसके लिए अहिंसा की आवश्यकता होती है !
जब तक साधन पवित्र नहीं होता साध्य में पवित्रता नहीं आ सकती ! हिंसा सूक्ष्म रूप में समाहित होती है ! उसे निकालने के लिए सभी प्रकार के विकारों, वासनाओ का त्याग आवश्यक है !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 4 April 2012

पहली अप्रैल का क्या मतलब ?

विचार :-
अभी २-३ दिन पहले 01 अप्रैल थी .....!!! इस दिन को बहुत से लोगों ने मूर्ख दिवस की उपमा दी हुयी हैं और इस बहाने लोग खूब झूंट बोलते हैं जैसे की उन्हें इस दिन झूंट बोलने का license मिल गया हो........

दोस्तों मैंने एक बार कही पढ़ा था ......
""एक दोस्त ने अपने दूसरे शहर में रहने वाले दोस्त से अप्रैल फूल बनाने के लिए ऐसे ही कह दिया की उसके पापा का एक्सिडेंट हो गया हैं, ये खबर सुन कर उसका दोस्त आनन् फानन में बिना पल गवाए अपनी गाड़ी से अपने पापा को देखने निकल गया और जल्दी पहुचने की जद्दोजहद में उसकी गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया और वो ख़तम हो गया, ये खबर सुनकर उस लड़के के पापा को heart attach आ गया वो भी ख़तम हो गए ""

तो दोस्तों ये मूर्ख दिवस क्या बोलना सिखाता हैं ???? अब ये आपका निर्णय होगा....!!!!!

श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Tuesday 3 April 2012

क्या दान सिर्फ दिखावा ????

विचार :-
कितने दुःख की बात है ना आज दान लोग सिर्फ झूठा दिखावा करने के लिए करते है आज अगर लोग दान देते है तो सिर्फ इसीलिए की उनका नाम हो आप मंदिर में देखते होगे की इतनी मुर्तिया मंदिर में नहीं मिलती जितने नाम मिलते है !
क्या हो गया आज लोगो को की वो सिर्फ दान इसीलिए देते है की बस उसका नाम लिखा जाये ऐसा क्यों ???
क्या आज देश में दान की वो इच्छा जो किसी के भले के लिए किये गए कार्य को कहते थे आज वही दान सिर्फ पैसे दे देने का महत्व और वो भी सिर्फ अपना नाम दस पन्द्रह जगह लिखवाने के लिए किये कार्य की प्रवर्ती में बदल गयी है !
शर्म कीजिये और अपने दान को सद् मार्ग दीजिए............
जय जिनेन्द्र देव की
श्रेणिक जैन 

पानी छानना एवं उसकी मर्यादा

विचार :-
आज का विचार उसके बारे में है जिसमे आप ये समझ सकेगे की अगर हम पानी छानते है तो उसकी मर्यादा क्या होती है और वास्तव में पानी छानने की विधि क्या है........
पानी छानने से तात्पर्य है कि एक मोटा कपडा जिसमे से सुर्य की रोशनी नज़र नही आती हो ऐसे कपडे को दोहरा कर छानना चाहिये तथा जावणी जहा से पानी लाया गया है वही पर  वापस डालनी चाहिये. जावणी से तात्पर्य होता है की उस कपडे को उल्टा करके कुछ पानी( छना हुवा ) वापस डाल कर पानी के जीवो को दुबारा पानी में ही पंहुचा कर हिंसा के दोष से भी बचना !
इस छने पानी की मर्यादा 48 मिनिट है. 48 मिनिट बाद इसे दुबारा छानना होगा.
यदि छने पानी को उबाल कर लोंग डाल ले तो इसकी मर्यादा 24 घण्टे की होती है. तथा इसके साथ साथ लोग समझते है की बिसलेरी,फिल्टर,मिट्टी के मटके का पानी भी छना हुवा है तो वो गलत है इनका पानी अनछना होता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

त्यागी पर टिप्पणी

विचार :-
मैंने बहुत से लोगो को कहते हुवे सुना की वो पता नहीं क्यों साधू, महात्मा, संत पुरुषों आदि पर टिप्पणी करते रहते है कुछ कहते है "साधू को सिर्फ एक वक्त खाना खाना चाहिए या साधू को मोबाइल नहीं रखना चाहिए ये कुछ कहते है साधू आज कल पार्टी आदि में जाने लगे है " मेरे उन लोगो से कुछ प्रशन है :-
१. क्या साधू आपके घर आके आपसे अनुरोध कर रहे थे की आप हमारे पास आइये ! आप जब भी जाते है अपनी श्रद्धा से जाते है तो फिर उनके बारे में इतनी शिकायत क्यों ?
२. सबसे आपके बारे में कहते है की आप मोबाइल रखते है या नहीं, या आपसे कहते है की आप मत रखा कीजिये !
या
३. मै आपसे पूछना चाहता हू वो आपसे आके कह रहे है की आप अपने यहाँ मुझे आहार करवाइए या कह रहे है की मै २ टाइम खाता हू और दोनों टाइम आपके यहाँ ही खाना खाउगा !
एक बात हमेसा समझ लीजिए आप उनकी बुराई करके उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते है बल्कि अपना बहुत कुछ बिगाड़ रहे है अपने कर्मो का संचय ( कर्मो को बढ़ाना ) करके !

श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Sunday 1 April 2012

दर्द से टूट रहा हर एक दिल

विचार :- जो बहुत कुछ सिखने और सोचने पर मजबूर करता है (ये कविता मेरी नहीं पर बहुत सुन्दर है)


हर दिल टुटा नज़र आता है

हर भूखे को चाँद भी रोटी नज़र आता है
जिधर देखो , हर दिल टुटा नज़र आता है

कुछ इस कदर हिल गया है,विश्वास का पेड
अब तो हर दोस्त भी ,दुश्मन नज़र आता है

बहुत बढ़ गया है प्रदूषण , हमारे पर्याबरण में
अब तो हर पेड़ भी , सुखा नज़र आता है

चीनी खाते है हमसब, मगर मुह में मिठास नहीं है
हर आवाज़ में अब क्यों , कडवाहट नज़र आता है !

श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

पैर की खरोंच और रिक्शा वाले भाई

विचार :-
एक विचार जो हमें हमेसा रुला देता है और बहुत कुछ सिखा भी जाता है जिसे एक कविता के माध्यम से लिख रहा हू..........

हम बैठ के ऑफिस में 
अपने बॉस से छुट्टी की गुजारिश करने लगे 
कुछ परेसान से थे हम 
कुछ दर्द में भी थे हम 
क्योकि पैर में आई थी एक हलकी से खरोंच

हमारी अर्जी को देख के बॉस ने 
दे दी थी हमें छुट्टी और कहा था घर जाने को 

घर आते ही पिता ने डाटा की इतनी सी खरोंच के लिए छुट्टी 
क्यों ली और वो भी २ दिन की 
और डाटते हुवे कहा की कल ही ऑफिस जाना

हमने रात भर बहुत सोचा और मन को मार कर
अनमने मन से ही और ना जाने क्यों पिता जी को बुरा भला कह कर
ऑफिस जाने को हुवे तैयार

जैसे ही हम रिक्शा स्टैंड पर पहुचे 
क्योकि हम थोडा भी चलना नहीं चाहते थे 
और जैसे ही रिक्शे वाले को देखा तो उसके पुरे पैर में पट्टिया देखी 
तो अचानक ही पूछ लिया
"भाई पैर में तो चोट है रिक्शा चलाओगे कैसे "
रिक्शे वाले की बात सुनकर हमें अपने आप पर ही शर्म आने लगी
उसने कहा 
"बाबूजी रिक्शा पैर से नहीं पेट से चलती है "