Wednesday 25 April 2012

मृत्यु एक शिक्षा

विचार :-
हर व्यक्ति जानता है की उसे एक ना एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना ही है लेकिन ना जाने क्यों फिर भी वो मृत्यु से भयभीत रहता है, लेकिन मेरे विचार से मृत्यु भय का नहीं शिक्षा का विषय है !
क्या कभी किसी जीवन की लालसी मनुष्य ने ये सोचा है की यदि मृत्यु ना होती तो संसार का हाल क्या होता आप खुद सोचिये यदि बगीचे में हर रोज़ नए फूल खिलते और पुराने मुरझाते ही ना तो क्या होता, यदि विभिन्न नदी नालो का पानी कभी खत्म होता ही ना तो क्या होता, यदि एक स्टेशन (station) पर यात्री सिर्फ आते ही रहते और कोई भी ट्रेन में नहीं चड़ता तो सोचो क्या होता उस स्टेशन का !
संसार का दुखी से दुखी व्यक्ति भी मारना नहीं चाहता अरे मृत्यु तो अटल और जन्म से ही जुडी होती है और हमेसा परछाई की तरह साथ साथ चलती है ,जब हम ये जानते ही है की मृत्यु आनी ही है और अटल है फिर हम क्यों अपने जीवन को सार्थकता की तरफ क्यों नहीं ले जाते क्यों अपने मनुष्य जन्म को सार्थक नहीं बनाते !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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