Thursday 19 April 2012

प्राथमिकता किसे ?

विचार :-
आज आपके सामने एक सच्ची घटना रख रहा हू पढ़ कर आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा !
एक बार एक महात्मा ( नाम मै नहीं बताना चाहता ) ने एक दिन वेश्या के विशेष आग्रह पर , उसके घर पधार कर धर्मोपदेश का आमंत्रण स्वीकार किया ! शिष्य समुदाय में काना-फूसी के चलते एक शिष्य ने अपनी भड़ास गुरु जी के समक्ष रख दी "गुरूजी उद्धार करना है तो सज्जनो की क्या कमी है जो आप दुर्जनों के यहाँ जाकर बदनामी करवा रहे है !"
महात्मा जी पलट के बोले "यदि तुम चिकित्सक होते तो जुकाम पीड़ित और शास्त्राहित रोगी (अत्यधिक बीमार ) में से किसे फले उपचार करते "
शिष्य बोला -"शास्त्राहित रोगी को "
महात्मा जी ने तपाक से उत्तर दिया -" मैं भी तो वही कर रहा हू, अगर मैं कम पापी की तुलना में अधिक पापी को सुधारने का प्रयास कर रहा हू तो इसमें मेरी क्या भूल "
इतना सुनते है शिष्य एकदम चुप हो गए !
जब वेश्या (नाम नहीं बता सकता ) ने ये बात सुनी तभी उसे संसार से विरक्ति हो गयी और उन्होंने भी दीक्षा ले ली
ये एक दम सच्ची घटना है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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