Tuesday 3 April 2012

पानी छानना एवं उसकी मर्यादा

विचार :-
आज का विचार उसके बारे में है जिसमे आप ये समझ सकेगे की अगर हम पानी छानते है तो उसकी मर्यादा क्या होती है और वास्तव में पानी छानने की विधि क्या है........
पानी छानने से तात्पर्य है कि एक मोटा कपडा जिसमे से सुर्य की रोशनी नज़र नही आती हो ऐसे कपडे को दोहरा कर छानना चाहिये तथा जावणी जहा से पानी लाया गया है वही पर  वापस डालनी चाहिये. जावणी से तात्पर्य होता है की उस कपडे को उल्टा करके कुछ पानी( छना हुवा ) वापस डाल कर पानी के जीवो को दुबारा पानी में ही पंहुचा कर हिंसा के दोष से भी बचना !
इस छने पानी की मर्यादा 48 मिनिट है. 48 मिनिट बाद इसे दुबारा छानना होगा.
यदि छने पानी को उबाल कर लोंग डाल ले तो इसकी मर्यादा 24 घण्टे की होती है. तथा इसके साथ साथ लोग समझते है की बिसलेरी,फिल्टर,मिट्टी के मटके का पानी भी छना हुवा है तो वो गलत है इनका पानी अनछना होता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

No comments:

Post a Comment