Wednesday 25 April 2012

मनुष्य होना और मनुष्यता सीखना

विचार :-
बहुत से लोग मनुष्य होकर ही अपने आपको धन्य मानते है पर मेरे विचार से मनुष्य होना और मनुष्य होकर मनुष्यता रखना एक अलग बात है !
जीवन बेशक एक यात्रा है, जिसमे चलना ही चलना है लेकिन मेरे विचार से हम सब का मनुष्य होना हमारे लिए एक अवसर है -स्वयं को पहचानने का, स्वयं के होने का और स्वयं को पाने का क्योकि मनुष्य होकर ही स्वयं को पाया जा सकता है परमात्मा बना जा सकता है ! और रही बात जीने की तो पशु भी जीते है लेकिन उनमे वो ज्ञान नहीं जो हम मनुष्य में है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आप सब से कहना चाहता है की अगर प्रभु ने या हमारे अपने कर्मो से हमे मनुष्य जन्म मिला है तो उसका सदुपयोग करे दुर्प्रयोग नहीं !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


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