Wednesday 11 April 2012

पाप के भेद और ना करने का संकल्प

विचार :-
मित्रों मै आज आपको पाप के 18 भेद बताने जा रहा हू
१.प्रणतिपात- जीव हिंसा
२.मृषावाद- झूठ बोलना
३.अदतादान - चोरी करना
४.मैथुन -कुशील या अभ्रमचार
५.परिग्रह- आवश्यकता से अधिक जोड़ने की इच्छा करना
६.क्रोध - गुस्सा करना
७.मान- धमंड करना
८.माया - छल करना
९.लोभ - लालच करना
१०.राग - किसी से मोह करना
११.द्वेष- किसी से इर्ष्या करना
१२.कलह - झगडा रखना
१३.अभ्याख्यान - कलंक लगाना
१४.पैशुन्य- चुगली करना
१५.पर-परिवाद -दूसरों की निंदा करना
१६.रति-अरति -धर्म में मन ना लगना और ही काम में लगे रहना
१७.माया मरिषावाद -कपट रख कर झूठ बोलना
१८.मिथ्यादर्शनशल्य -गलत श्रद्धा रखना


श्रेणिक जैन का तो बस इतना ही कहना है की हमें इन पापों से बचना चाहिए और बचने के लिए बस हमारी इच्छा शक्ति मजबूत होनी चाहिए ! और इसके लिए हमे मन में ये याद रखना चाहिए की पाप किस में है और पाप को कम करने के लिए हमे निरंतर प्रयास करना चाहिए हमारे आधे पाप तो इसी से खत्म हो जायेगे और बाकि आधे हमारी इच्छा शक्ति से खत्म होगे अगर हम ये ठान ले की जितना हो सकेगा पाप कम से कम करेगे ! ये मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

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