Sunday 29 April 2012

दुःख एवं उसे दूर करना

विचार :-
मेरे विचार से हमे जितना हो सके किसी भी दुखी की मदद करने के लिए तत्पर रहना चाहिए !
दुखी पर दया करना मानवता है, उसका दुःख किसी भी प्रकार से और जहा तक समर्थ हो सके दूर करना महानता है और दुःख का मूल कार्य यानि कर्म रोग जो आज आत्मा में रम रहा है उसे दूर करना भगवत्ता है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


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