Saturday 28 April 2012

विचार की महत्ता

विचार :-
मेरे विचार से आँख का अंधा संसार में सुखी हो सकता है, किन्तु विचार का अंधा कभी भी सुखी नहीं रह सकता ! विचार के अंधे को किये हुवे कर्म भी सुखी नहीं बना सकते !
विचार - विवेक रूपी महल की नीव होती है ! मुझे बाइबिल में लिखी एक बहुत सुन्दर लाइन  याद आती है - "मनुष्य हमेसा वैसे ही बना रहता है जैसे उसके विचार होते जाते है " ! उस पर बहारी वस्तुओ का इतना असर नहीं पड़ता जितना उसके खुद के विचारों का पड़ता है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे सिर्फ एक बात कहना चाहता है की हमेसा अपने विचारों को शुद्ध बनाये रखो आपका अंतर मन अपने आप निर्मल बनता चला जायेगा !
श्रेणिक जैन

जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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