Thursday 5 April 2012

सेवा भाव सीखो हनुमान और सूर्य से

विचार :-
हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाये
आज अखबार में पढ़ रहा था और आज ही क्या आये दिन अखबार में पढता हू की एक नौकर ने मालिक को मार कर घर लूट लिया, आज यहाँ लूटा और कल वह लूटा !
क्या होता जा रहा है इस देश और देश के लोगो को, पता नहीं क्यों आखिर वो सेवा भावना जो हर नौकर के मन में मालिक के लिए हुवा करती थी कहाँ गयी वो ?
अरे अपने देश में ही देखो एक चिर-परिचित कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी जिन्होंने अपने आराध्य राम ( जिन्हें वो अपने आराध्य कहते थे ! ) के लिए अपना सीना तक चीर दिया था !
अरे............!!!! आप आज के युग में ही देखो हमारा सूर्य ( सूरज ) जो सुबह दिन निकलते ही हमारे सामने आ जाता है सबको प्रकाश देने के लिए ! फिर चाहे गर्मी हो सर्दी हो या फिर बरसात ! हर मौसम में वो नित्य प्रतिदिन प्रकट हो जाते है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

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