Sunday 22 April 2012

जेन की महत्ता


एक ज़ेन शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया, “ज़ेन में ऐसा क्या है जो बहुत बुद्धिमान लोग भी इसे समझ नहीं पाते?”

ज़ेन गुरु उठे, उन्होंने एक पत्थर उठाया और पूछा, “यदि झाड़ियों से एक शेर निकलकर हमारी ओर बढ़ने लगे और हमपर हमले के लिए तैयार हो तो क्या इस पत्थर से हमें कुछ मदद मिलेगी?”

“हाँ, बिलकुल!”, शिष्य ने कहा, “हम यह पत्थर उसपर फेंककर उसे डरा सकते हैं और जान बचाने के लिए भाग सकते हैं, लेकिन इस सबका ज़ेन से क्या लेना….”

“अब तुम मुझे बताओ”, गुरु ने शिष्य से पूछा, “यदि मैं तुम्हें यह पत्थर फेंककर मारूं, क्या तब भी इसकी कोई उपयोगिता है?”

“हरगिज़ नहीं!”, शिष्य ने हैरान होकर कहा, “यह तो बहुत ही बुरा विचार होगा. लेकिन इसका मेरे प्रश्न से क्या संबंध है?”

गुरु ने पत्थर नीचे गिरा दिया और बोले, “हमारा मन बहुत शक्तिशाली है पर वह इस पत्थर की ही भांति है. इसे अच्छाई और बुराई दोनों के लिए ही प्रयुक्त किया जा सकता है”.

“ओह”, शिष्य ने कहा, “इसका अर्थ यह है कि ज़ेन को समझने के लिए अच्छा मन होना चाहिए”.

“नहीं”, गुरु ने कहा, “केवल पत्थर गिरा देना ही पर्याप्त है”.

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