Saturday 31 March 2012

दीया और आत्मा

विचार :-
मुझे तो एक बात कभी भी समझ नहीं आती की बहुत से लोग जानते है की आत्मा और शरीर अलग अलग है लेकिन फिर भी वो शरीर को ही सजाने और सवारने में लगे है ऐसा क्यों ???
मेरा तो सिर्फ इतना सा मत है की जब तक आप आत्मा और शरीर के सच्चे स्वरुप को नहीं जान लोगे तब तक आप मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकते है मतलब आत्मा को सच्चे सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती....
जिस प्रकार यदि हमें प्रकाश को अनुभव करना है तो हमें दिये की लों का अनुभव करना जरुरी है ना की दिये का क्योकि दीया तो जड़ होता है और सच्ची रोशनी केवल वो लों ही उत्पन कर सकती है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

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