Thursday 15 March 2012

बदलता घर का माहौल और गलती किसकी ?

एक दुखती कहानी श्रेणिक जैन की जुबानी :-
सच दोस्तों जब ये लिख रहा था तो इतना रोया की थोड़ी ही लिख पाया और एक लड़की के बहुत से रूप देख के मन अचंभित हो उठा.

एक हँसता खेलता परिवार
जो बाटता रहता अपने खुशी और गम
कभी खुशी में झूमता
तो कभी गम में २ आशु बहा देता

फिर एक दिन घर के बड़े बेटे की आई बहु
मत पूछो घर में क्या हुआ और कैसे कहू

लड़की का शादी के बाद ससुराल ही होता है असली घर
ये मानने की बजाये वो भूल ही ना पाई अपना पुराना घर
शामिल करने लगी वो हर बात में अपने मायके वालो को
इस बात का पता नहीं क्यों उसकी माँ ने उठाया फ़ायदा
और लगानी सुरु की लड़की के घर में आग
3 बार लड़की भी गयी अपनी ससुराल से भाग

लड़की अब एक आँख भी पसंद नहीं कर रही थी अपनी सास को
वो नित नियम भरने लगी थी अपने सुहाग को

वो रोजाना लड़ने लगा अपने पिता से
जैसे की लड़ रहा हो किसी और के पिता से

नित नित बढ़ने लगे थे झगडे, कलेश और कलह
करने की कोशिश बहुत की पर हो ना पाई सुलह

औरतों की जिद्द के आगे झुक गए दूसरे मर्द
क्या कहे और कह नहीं सकते उस घर का दर्द

एक दिन होने लगा बँटवारा

बड़े भाइयो में एक ने ली कार
किसी के हिस्से में जमीन जायदाद आई
मै घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से में माँ आई.........


इसके आगे और नहीं लिख सकता हू क्योकि आख से बहुत आशु आ गए थे जब ये लिखी धन्यवाद भाई
श्रेणिक जैन
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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