Tuesday 20 March 2012

क्षमा कितनी महान

विचार :-
जहाँ तक मेरा मानना है तो मुझे ऐसा लगता है जिस प्रकार गंध बिना पुष्प, घृत बिना दूध, ज्योति बिना दीपक, मिठास के बिना शर्करा व्यर्थ है, उसी प्रकार मेरे विचार से उत्तम क्षमा बिना सकल संयम साधना व्यर्थ है !
इसका मतलब की अगर आपको संयम धारण करना है तो आपको पहले क्षमा को अपनाना होगा अन्यथा संयम धरने का अर्थ ना के बराबर रह जायेगा !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

No comments:

Post a Comment