Friday 23 March 2012

वीतरागी भगवान क्या देते है ?

विचार :-
भगवान अरहंत देव वीतरागी है और स्वयं वीतराग के स्वरुप है, अठराह दोषो से रहित है और सर्वज्ञ है, इसलिये केवल वे ही नमस्कार करने योग्य और पुजा करने के योग्य है, लेकिन भगवान पुजा व नमस्कार करने से कुछ देते नही है क्योकि वे तो वीतरागी है और उनकी आत्मा समस्त दोषो से रहित होने के कारण अत्यंत शुध्द और निर्मल हो चुकी है, इसलिये उनको भक्ति करने से तथा पुजा एवं नमस्कार करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है तथा उस विशेष पुण्य से इच्छित पदार्थो की प्राप्ति अपने आप होती है ना की उनके देने से |
शुद्ध निर्मल आत्मा की भक्ति पुजा करने से अपने आत्मा को शुध्द और निर्मल बनाने की भावना भी उत्पन्न होती है और उस भावना के अनुसार वह जीव अपनी आत्मा को वैसा ही बनाने का प्रयत्न करता है और अगर चाहे तो वह जीव इस प्रकार अपने आत्मा का कल्याण करता हुआ स्वयं भी अरिहंत अवस्था को प्राप्त कर सकता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

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