Friday 2 March 2012

दान

विचार :-
दान के चार भेद :-
दान के बारे में बताने से पूर्व में आपको सिर्फ ये बताना चाहता हू की दान का महत्व तभी है जब आप दान देते वक्त मन शुद्ध रखे और किसी भी प्रकार की इच्छा रखे बिना दान दे....

१. अभयदान ,                          २.शास्त्रदान ,
३.औषधदान ,                           ४.आहारदान

1.अभयदान : यदि कोई जीव मरण से भयभीत हो रहा है ऐसे किसी भी जीव या जीवो को जो अभय दान देना ही अभयदान कहलाता है और जो अभयदान देता है अगर मनुष्य इस दान को करता है तो भविष्य में सारे विश्व में निर्भीकता जैसे गुणों का धारी बनता है !

2. शास्त्रदान : जो पुरुष शास्त्र दान देता है,जिनागम को पढता है तथा दूसरे मनुष्यों को पढ़ने में मदद करता है यही शास्त्र दान कहलाता है और जो मनुष्य ये दान करता है वह पुरुष मति श्रुती ज्ञान आदि ज्ञान और दान दोनो को पुर्ण रुप से प्राप्त करता है !

3. औषधदान : औषधी दान देने वाला मनुष्य ही औषधि दान के पुण्य का भागी बनता है वह आने वाले भविष्य में उत्तम तेज का धारी होता है और तेज, ओजस्वी आदि गुणों का धारी होता है !

4. आहारदान : और इन सबसे ऊपर आहार दान है जिसके फल का अगर वर्णन किया जाये तो रात से दिन हो जाये लेकिन मै सिर्फ यही कहना चाहुगा की दान की अनंतानत महिमा है और आहार दान देने वाले व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है !

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