Saturday, 14 April 2012

आखो देखी

विचार :- एलाचार्य निशंक भूषण जी महाराज की आखो देखी एक घटना आपके सामने रख रहा हू आज ध्यान से पढ़ना !
एक बहन जी थी वो खेती किया करती थी उनके चार खेत थे वैसे तो सब चीजे खेती से प्राप्त हो जाती थी लेकिन अगर कुछ कमी होती थी तो वो उस वस्तु से अधिक की कोई वस्तु देकर किसी भी वस्तु को ले आती थी क्योकि उनका मानना था की जिस प्रकार मुझे मेरी वस्तु प्यारी है उसी प्रकार दूसरों को भी वो वस्तु प्र्यारी होगी !
यदि कोई उनके पास आकर भी कोई वस्तु मांगता था तो वो बड़ी विनम्रता से उसे दे देती थी और मूल्य भी नहीं लेती थी और कहती थी की यदि आप मुझे रुपये देगे तो आपस का भाईचारा ही खत्म हो जायेगा और वह सभी से वात्सल्य पूर्वक व्यवहार करती थी !
एक बार गांव में खूब बारिश हुई आसपास के सारे खेत बरबाद हो गए मगर बहनजी के चारों खेतों को आंच भी नहीं आई !
इसीलिए मै कहता हू की हमे जो कुछ भला या बुरा भोगना पड़ता है या पड़ रहा है वह सब हमारी ही करनी का फल होता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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