विचार :-
बहुत से लोग मनुष्य होकर ही अपने आपको धन्य मानते है पर मेरे विचार से मनुष्य होना और मनुष्य होकर मनुष्यता रखना एक अलग बात है !
जीवन बेशक एक यात्रा है, जिसमे चलना ही चलना है लेकिन मेरे विचार से हम सब का मनुष्य होना हमारे लिए एक अवसर है -स्वयं को पहचानने का, स्वयं के होने का और स्वयं को पाने का क्योकि मनुष्य होकर ही स्वयं को पाया जा सकता है परमात्मा बना जा सकता है ! और रही बात जीने की तो पशु भी जीते है लेकिन उनमे वो ज्ञान नहीं जो हम मनुष्य में है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आप सब से कहना चाहता है की अगर प्रभु ने या हमारे अपने कर्मो से हमे मनुष्य जन्म मिला है तो उसका सदुपयोग करे दुर्प्रयोग नहीं !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
बहुत से लोग मनुष्य होकर ही अपने आपको धन्य मानते है पर मेरे विचार से मनुष्य होना और मनुष्य होकर मनुष्यता रखना एक अलग बात है !
जीवन बेशक एक यात्रा है, जिसमे चलना ही चलना है लेकिन मेरे विचार से हम सब का मनुष्य होना हमारे लिए एक अवसर है -स्वयं को पहचानने का, स्वयं के होने का और स्वयं को पाने का क्योकि मनुष्य होकर ही स्वयं को पाया जा सकता है परमात्मा बना जा सकता है ! और रही बात जीने की तो पशु भी जीते है लेकिन उनमे वो ज्ञान नहीं जो हम मनुष्य में है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आप सब से कहना चाहता है की अगर प्रभु ने या हमारे अपने कर्मो से हमे मनुष्य जन्म मिला है तो उसका सदुपयोग करे दुर्प्रयोग नहीं !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
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