विचार :-
मेरे विचार से आँख का अंधा संसार में सुखी हो सकता है, किन्तु विचार का अंधा कभी भी सुखी नहीं रह सकता ! विचार के अंधे को किये हुवे कर्म भी सुखी नहीं बना सकते !
विचार - विवेक रूपी महल की नीव होती है ! मुझे बाइबिल में लिखी एक बहुत सुन्दर लाइन याद आती है - "मनुष्य हमेसा वैसे ही बना रहता है जैसे उसके विचार होते जाते है " ! उस पर बहारी वस्तुओ का इतना असर नहीं पड़ता जितना उसके खुद के विचारों का पड़ता है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे सिर्फ एक बात कहना चाहता है की हमेसा अपने विचारों को शुद्ध बनाये रखो आपका अंतर मन अपने आप निर्मल बनता चला जायेगा !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
मेरे विचार से आँख का अंधा संसार में सुखी हो सकता है, किन्तु विचार का अंधा कभी भी सुखी नहीं रह सकता ! विचार के अंधे को किये हुवे कर्म भी सुखी नहीं बना सकते !
विचार - विवेक रूपी महल की नीव होती है ! मुझे बाइबिल में लिखी एक बहुत सुन्दर लाइन याद आती है - "मनुष्य हमेसा वैसे ही बना रहता है जैसे उसके विचार होते जाते है " ! उस पर बहारी वस्तुओ का इतना असर नहीं पड़ता जितना उसके खुद के विचारों का पड़ता है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे सिर्फ एक बात कहना चाहता है की हमेसा अपने विचारों को शुद्ध बनाये रखो आपका अंतर मन अपने आप निर्मल बनता चला जायेगा !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
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