विचार :-
एक विचार जो हमें हमेसा रुला देता है और बहुत कुछ सिखा भी जाता है जिसे एक कविता के माध्यम से लिख रहा हू..........
हम बैठ के ऑफिस में
अपने बॉस से छुट्टी की गुजारिश करने लगे
कुछ परेसान से थे हम
कुछ दर्द में भी थे हम
क्योकि पैर में आई थी एक हलकी से खरोंच
हमारी अर्जी को देख के बॉस ने
दे दी थी हमें छुट्टी और कहा था घर जाने को
घर आते ही पिता ने डाटा की इतनी सी खरोंच के लिए छुट्टी
क्यों ली और वो भी २ दिन की
और डाटते हुवे कहा की कल ही ऑफिस जाना
हमने रात भर बहुत सोचा और मन को मार कर
अनमने मन से ही और ना जाने क्यों पिता जी को बुरा भला कह कर
ऑफिस जाने को हुवे तैयार
जैसे ही हम रिक्शा स्टैंड पर पहुचे
क्योकि हम थोडा भी चलना नहीं चाहते थे
और जैसे ही रिक्शे वाले को देखा तो उसके पुरे पैर में पट्टिया देखी
तो अचानक ही पूछ लिया
"भाई पैर में तो चोट है रिक्शा चलाओगे कैसे "
रिक्शे वाले की बात सुनकर हमें अपने आप पर ही शर्म आने लगी
उसने कहा
"बाबूजी रिक्शा पैर से नहीं पेट से चलती है "
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