Sunday 6 May 2012

घ्रणा व द्वेष पर विजय पाए

विचार :-
किसी के गलत व्यवहार को अपनी स्मृति में इतना ना पकडे की मन में उसके प्रति घ्रणा या द्वेष हो जाये और उसके प्रति अपने सारे व्यवहार ही बिगड जाए !
याद रखें की इससे उसकी अधिक हानि नहीं होगी लेकिन इस क्रोध और जलन से आपके मन पर हमेसा एक बोझ सा बना रहेगा और आप अपनी ही विशेष हानि कर लेगे, जिससे कभी ना कभी आपको पश्चाताप की अग्नि में भी जलना पड़ सकता है ! इससे तो अच्छा है की अपने घ्रणा-द्वेष पर जय ही पा ले !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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