Saturday 19 May 2012

समाज का दर्पण

विचार :-
मेरे विचार से युवक और युवतियाँ ही समाज का दर्पण होते है, जिस प्रकार समाज की छवि होगी वैसा ही प्रतिबिम्ब युवक और युवतियों में देखने को मिलेगा !
मेरे विचार से तो बालक हमेसा पालन करने वाले ( माता -पिता या अन्य ) की छवि होते है जैसे बालक के माता और पिता होगे वैसे ही संस्कार बच्चो में पड़ते चले जायेगे जिस प्रकार एक नेगेटिव के अनुसार ही फोटो होता है उसके विपरीत नहीं उसी प्रकार यदि माता - पिता बिगड़े हुवे है तो कोई कारण नहीं की बच्चो पर इसका असर ना पड़े !
इसीलिए श्रेणिक जैन की अनुसार तो पहले बडो को अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए सजग एवं सावधान रहना चाहिए ! बच्चे, बडो को देखकर ही अपने आप सुधर जाते है लेकिन अगर बड़े ही बिगड़े है तो बच्चे अपने आप बिगड जायेगे ! बडो के सुधरे बिना बच्चो का सुधर पाना असंभव नहीं तो दुसाध्य अवश्य है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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