Monday 21 May 2012

मौत

विचार :-
मौत एक गूढ़ और सास्वत सत्य है तो क्यों ना इसे अपना लिया जाये इसे क्यों नहीं अपना सकते हम ?
मौत अपनाने से मेरा मतलब ये नहीं की हम मौत को गले लगा ले बल्कि इससे मेरा मतलब मौत रूपी सच को अपनी आत्मा में उतारकर उसके लिए कुछ ठोस कदम उठाने से है !
सबसे बड़े दुःख की बात ये नहीं है की मौत एक सच है बल्कि सबसे बड़े दुःख की बात ये है की हम ये जानते हुवे भी की मौत एक दिन आनी ही आनी है हम इस संसार को इस तरह अपने और अपनी आत्मा पर हावी कर रहे है की कल अगर हम चाहे भी तो इस संसार से निकल कर मोक्ष की तरफ अपना कदम ना बढ़ा पाए !
श्रेणिक जैन आपसे सिर्फ इतना कहना चाहता है की जब सिकंदर ( विश्व विजेता ), रावण ( महान वेदों और ग्रंथो का ज्ञाता ) और बड़े बड़े ऋषि मुनि और संत जो मोक्ष ना जा सके वो भी इस संसार से चले गए तो हम- तुम जैसो की क्या औकात !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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