Wednesday 16 May 2012

हाथ की बात से धर्म का अनुष्ठान

विचार :-
मेरे विचार से वैसे तो यह अच्छा है की हम दूसरों को सुधार पाए लेकिन अगर हम ये ना कर पाए मतलब दूसरों को सुधारने में उनकी मदद ना कर पाए तो हम कभी भी किसी के साथ ऐसा व्यवहार ना करे जो हम खुद के लिए नहीं चाहते इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी !
इसे मै एक उदाहरण से समझाना चाहता हू देखो मेरा कोई नुकसान न करे - ये मेरे हाथ की बात नहीं है, पर मैं किसी का नुकसान न करू यह तो मेरे हाथ में है ! इसी प्रकार ऐसा जो मुझे अच्छा ना लगे, कोई मेरे साथ न करे , यह हाथ की बात नहीं है, परन्तु वही गलत कार्य मैं किसी के साथ ना करू ये हाथ की बात है ! अतः जो हाथ की बात है, उडी को करना ही सच्चे धर्म का अनुष्ठान है !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

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