विचार :-
आज मैंने देखा जगह जगह होलिका के रूप में एक लकडियों का ढेर बना हुआ जिसमे आग लगाकर लोग उसे होलिका दहन कहते है !
मुझे नहीं पता की धर्म के हिसाब से ये कहा तक उचित है लेकिन मै तो सिर्फ इस पर अपना विचार रखना चाहता हू क्योकि मेरे विचार ये बिलकुल भी उचित नहीं है क्योकि :-
१. पहला कारण तो हमारे अंदर इतनी बुराई भरी हुई है हमे अगर वास्तव में होलिका दहन करना है तो हमें सबसे पहले उन बुराइयो को मिटाना चाहिए तभी वास्तव में हमें होलिका दहन का वास्तव में मतलब सिद्द हो सकता है !
२. और दूसरा इस दिन इतनी लकडियों को जलाया जाता है जिसका वास्तव में कोई भी ओचित्य मुझे नज़र नहीं आता क्योकि इससे हमारे पर्यावरण में निरंतर पेडो की संख्या ओर घट जायेगी जो हमारे पर्यावरण के संतुलन के लिए ओर घातक है !
३.तीसरा कारण एक ये भी है की जितनी लकडिया जलती है उसे ना जाने कितने आस पास के पेड पोधे ओर सबसे ज्यादा कीट पतंगे और ना जाने कितने सूक्ष्म जीव झुलस कर मर जाते है !
श्रेणिक जैन
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा
आज मैंने देखा जगह जगह होलिका के रूप में एक लकडियों का ढेर बना हुआ जिसमे आग लगाकर लोग उसे होलिका दहन कहते है !
मुझे नहीं पता की धर्म के हिसाब से ये कहा तक उचित है लेकिन मै तो सिर्फ इस पर अपना विचार रखना चाहता हू क्योकि मेरे विचार ये बिलकुल भी उचित नहीं है क्योकि :-
१. पहला कारण तो हमारे अंदर इतनी बुराई भरी हुई है हमे अगर वास्तव में होलिका दहन करना है तो हमें सबसे पहले उन बुराइयो को मिटाना चाहिए तभी वास्तव में हमें होलिका दहन का वास्तव में मतलब सिद्द हो सकता है !
२. और दूसरा इस दिन इतनी लकडियों को जलाया जाता है जिसका वास्तव में कोई भी ओचित्य मुझे नज़र नहीं आता क्योकि इससे हमारे पर्यावरण में निरंतर पेडो की संख्या ओर घट जायेगी जो हमारे पर्यावरण के संतुलन के लिए ओर घातक है !
३.तीसरा कारण एक ये भी है की जितनी लकडिया जलती है उसे ना जाने कितने आस पास के पेड पोधे ओर सबसे ज्यादा कीट पतंगे और ना जाने कितने सूक्ष्म जीव झुलस कर मर जाते है !
श्रेणिक जैन
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा
I-ALSO-AGREE-WITH-YOU...AUR-WAISE-HI-HAM-EK-PANCHENDRIYA-JEEV-KO-MAAN-RAHE-HAIN-KI-VA-US-MEIN-HAI...AUR-HAM-USKO-JALA-RAHE-HAIN...YEH-BAHUT-BADA-PAAP-HAI...TOTALLY-AGREE-WITH-YOU
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