विचार :-
कितने विचित्र शब्द है ना ये तीनो ही क्योकि लगते तो तीनो एक से ही है लेकिन इन तीनो में बहुत ज्यादा फर्क है !
प्रेम :- प्रेम हमेसा बराबर वालो में होता है
अनुराग :- अनुराग हमेसा अपने से छोटे के साथ होता है इसमें एक सद्भावना भी होती है !
श्रद्धा :- श्रद्धा हमेसा अपने से बड़े या फिर अपने आराध्य से अर्थात तीर्थंकर प्रभु से होती है लेकिन इसका स्वरुप कलम से लिख पाना ऐसे ही कठिन है जैसे हाथो से धुप को पकड़ना इसलिए मेरा विश्वास है जो सच्चे मन से श्रद्धा रखता है अपने आराध्य पर और उनके बताये मार्ग पर चलते है वही मोक्ष को प्राप्त होते है !
श्रेणिक जैन......
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
कितने विचित्र शब्द है ना ये तीनो ही क्योकि लगते तो तीनो एक से ही है लेकिन इन तीनो में बहुत ज्यादा फर्क है !
प्रेम :- प्रेम हमेसा बराबर वालो में होता है
अनुराग :- अनुराग हमेसा अपने से छोटे के साथ होता है इसमें एक सद्भावना भी होती है !
श्रद्धा :- श्रद्धा हमेसा अपने से बड़े या फिर अपने आराध्य से अर्थात तीर्थंकर प्रभु से होती है लेकिन इसका स्वरुप कलम से लिख पाना ऐसे ही कठिन है जैसे हाथो से धुप को पकड़ना इसलिए मेरा विश्वास है जो सच्चे मन से श्रद्धा रखता है अपने आराध्य पर और उनके बताये मार्ग पर चलते है वही मोक्ष को प्राप्त होते है !
श्रेणिक जैन......
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
No comments:
Post a Comment