श्रेणिक जैन की कलम से :-
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं !
जैन धर्म का मूल मंत्र णमोकार मंत्र है, मेरी नज़र में इस मंत्र का महत्व इसीलिए अधिक है इस मंत्र में न तो जैन धर्म के आखरी तीर्थंकर भगवान महावीर का नाम है ना ही पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का ही नाम है इसमें केवल व्यक्तित्व को नमन है ना की किसी व्यक्ति मात्र को !
एक दूसरी विशेषता ये भी लगती की इसमें कोई विषय वस्तु की मांग भी नहीं की गयी है बजाये इसके सिर्फ सबको प्रणाम किया हुवा है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं !
जैन धर्म का मूल मंत्र णमोकार मंत्र है, मेरी नज़र में इस मंत्र का महत्व इसीलिए अधिक है इस मंत्र में न तो जैन धर्म के आखरी तीर्थंकर भगवान महावीर का नाम है ना ही पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का ही नाम है इसमें केवल व्यक्तित्व को नमन है ना की किसी व्यक्ति मात्र को !
एक दूसरी विशेषता ये भी लगती की इसमें कोई विषय वस्तु की मांग भी नहीं की गयी है बजाये इसके सिर्फ सबको प्रणाम किया हुवा है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
hello nice post dear
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