विचार :-
जिस प्रकार किसी अनाड़ी पुरुष को उसकी भाषा में बोले बिना नहीं समझाया जा सकता या फिर कोई भी हो जब तक हम उस इंसान या जानवर को उसी की भाषा में बोल कर नहीं समझायेगे तब तक वह नहीं समझ सकता.,
ठीक उसी प्रकार परमार्थ को समझाने के लिए व्यवहार का अवलम्बन लिया जाता है एक बात हमेसा ध्यान रखे की जब तक व्यवहार शुद्ध नहीं होगा तब तक कार्य की शुद्धता नहीं परदर्शित की जा सकती !
श्रेणिक जैन......
जिस प्रकार किसी अनाड़ी पुरुष को उसकी भाषा में बोले बिना नहीं समझाया जा सकता या फिर कोई भी हो जब तक हम उस इंसान या जानवर को उसी की भाषा में बोल कर नहीं समझायेगे तब तक वह नहीं समझ सकता.,
ठीक उसी प्रकार परमार्थ को समझाने के लिए व्यवहार का अवलम्बन लिया जाता है एक बात हमेसा ध्यान रखे की जब तक व्यवहार शुद्ध नहीं होगा तब तक कार्य की शुद्धता नहीं परदर्शित की जा सकती !
श्रेणिक जैन......
No comments:
Post a Comment