विचार :- ( एक दोस्त ने दी खबर )
दुनिया में इतिहास रचने वालों की कोई कमी नहीं है। कुछ लोग अपना नाम चमकाने के लिए इतिहास रचते हैं तो कुछ लोग निस्वार्थ रूप से अपना कार्य करते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उन्होंने इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है।
बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी एक ऐसे ही इतिहास रचयिता रहे हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के इलाज में बाधक बने पहाड़ को काटकर सड़क निर्माण किया था। दशरथ मांझी की कहानी आज बिहार की स्कूली किताबों में दर्ज है, जिसका शीर्षक है-पहाड़ से ऊंचा आदमी।
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
दुनिया में इतिहास रचने वालों की कोई कमी नहीं है। कुछ लोग अपना नाम चमकाने के लिए इतिहास रचते हैं तो कुछ लोग निस्वार्थ रूप से अपना कार्य करते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उन्होंने इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है।
बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी एक ऐसे ही इतिहास रचयिता रहे हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के इलाज में बाधक बने पहाड़ को काटकर सड़क निर्माण किया था। दशरथ मांझी की कहानी आज बिहार की स्कूली किताबों में दर्ज है, जिसका शीर्षक है-पहाड़ से ऊंचा आदमी।
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
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