Tuesday 31 July 2012

पाप और उसका फल

विचार :-
पता नहीं कुछ लोग क्या क्या सोचते है की पाप के फल का जगह से कुछ लेना देना है !
मेरा मानना है की पाप चाहे तलघर में हो या मरघट में, प्रवचन हॉल में हो या सिनेमा हॉल में उसका फल उसी तरह मिलेगा जो उस पाप के लिए मिलना चाहिए इसका जगह से कोई मतलब नहीं है !
अरे ये सोचो ना भूमि चाहे जिस भी तरह की हो आप जिस भी फल का बीज बोवोगे उसी का फल मिलेगा अगर आपने बबूल का बीज बोया है तो आम कहा से मिलेगे एक ना एक दिन बबूल का फल जग जाहिर होके रहेगा !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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