Monday 16 July 2012

सोने और मरने से क्षमा की महत्ता


विचार :-
जितना फर्क जागने और सोने में होता है उतना ही फर्क किसी से गुस्सा होने और उसे माफ करने में होता है जिस प्रकार सोने के बाद इंसान को कुछ पता नहीं होता उसी प्रकार गुस्से में इंसान क्या कर जाता है उसे खुद को भी पता नहीं होता वो नशे जैसे हालत में चला जाता है
ठीक उसी प्रकार माफ करने का अर्थ गुस्से रूपी नींद से जागने के सामान होता है जिस प्रकार नींद से जागने के बाद इंसान एक नयी सुबह को महसूस करता है ठीक उसी प्रकार माफ करने के बाद भी इंसान एक नयी सुरुवात की तरफ कदम बढाता है !
तो क्यों ना आज उन सबको माफ किया जाए जिनसे हम गुस्सा है आप खुद भी सोचिये ना की ये दुश्मनी तभी तक है जब तक आप इस संसार में है मरने के बाद कैसी दुश्मनी और कैसा प्यार तो क्यों किसी से इतना बैर भाव रखना !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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