Thursday 26 July 2012

जीवंत जीवन के राज़

विचार :-
सम्यक श्रधा के बिना जीवन मुर्दा के समान है, आस्था के बिना यह नर भव अर्थहीन है, जिस प्रकार बिजली के बिना बिजली से चलने वाले पंखा, फ्रिज आदि उपकरण निरर्थक है उसी प्रकार सम्यक्त्व के बिना सम्यक क्रिया, चर्या, आचरण आदि व्यर्थ सा ही प्रतीत होगा !
इतना ही नहीं श्रेणिक जैन का तो यहाँ तक मानना है की जैन संस्कृति का मूल ही सम्यक्त्व है, भारतीय संस्कृति में भी सदाचार के कारण चरणों की पूजा की जाती है, यह सदाचार व सदाचार की पूजा ही पूजक को पूज्य के पथ पर आगे ले जा सकती है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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