Sunday 8 July 2012

क्या है और क्या नहीं

विचार :-
बहुत से लोगो की ये आदत होती की वो हर समय किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहते है और पता नहीं कैसे उन्हें परेशान रहने का बहाना भी मिल जाता है जैसे वो बहाना ढूढ़ ही रहे हो !
श्रेणिक जैन के अनुसार तो हमें हमारे पास जो नहीं है उसके लिए परेशान होना छोड कर बल्कि जो हमारे पास है उसको लेकर खुश रहना चाहिए क्योकि संतोष में जो आनदं होता है वो निरंतर परेशान रहने में नहीं मिल सकता है ! तो चलो क्यों ना आज ही ये प्रण करे की हमारे पास जो भी है हम उसी को अपने कर्मो का फल समझ कर स्वीकार करेगे और खुश रहेगे !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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