Saturday 28 July 2012

सरकार की नियत

विचार :-
मैं अपने सरकार की नियत को लेकर संशय में पद जाता हू पता नहीं क्यों हमारी सरकार एक कत्लखाना खुलवाने में तो सक्षम है लेकिन वही सरकार एक गौशाला का निर्माण करवाने में असक्षम है क्यों आखिर ?
मुझे ऐसा लगता है की सरकार अगर एक कत्लखाना खुलवा रही है तो उसके पीछे उसका अपना ही स्वार्थ है क्युकी उससे उसे धन की आमदनी होती है और जहाँ तक प्रश्न आता है एक गौशाला का जिससे की पशु धन को बचाया जा सकता है उसके लिए उसके पास समय और पैसे दोनों की कमी है !
ऐसा लगता है की जैसे पशु धन की रक्षा के लिए जो धन लगेगा वो इनके पुरखो की कमाई है जो ये खर्च नहीं करना चाहते और कत्लखाना खुलवाने से पशु ही तो मरेगे लेकिन धन (टैक्स) तो आएगा ही और रिश्वत आएगी जिससे और कालाधन आएगा और पैसा जमा होगा , क्या इसी दिन के लिए हमने सरकार को चुना था !

तो लो हो गया उद्देश्य पूरा
चाहे सभ्यता का हो जाये चुरा 
हमें तो चाहिए सिर्फ पैसा
ऐसा हो वैसा हो चाहे जैसा तैसा


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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