विचार :-
क्षमा भाव सम्पूर्ण मानव जाति के विकाश में ठीक उसी प्रकार समर्थ और सार्थक हो सकता है जिस प्रकार वृक्षों के संवर्धन ( निरंतर वृधि ) में जल-वायु व खाद एवं सूर्य के प्रकाश !
मेरे विचार से उत्तम क्षमा और क्षमा का भाव रहना हर इंसान के ह्रदय से होना चाहिए क्योकि सिर्फ मनुष्य के मुँह से कह देना ही काफी नहीं है उत्तम क्षमा तो तभी हो सकती है जब क्षमा दिल से हो !
इसीलिए मेरे विचार से अगर क्षमा करे तो पुरे दिल से करे आप देखना किसी को क्षमा करके आपको भी आनंद महसूस होगा !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा......
क्षमा भाव सम्पूर्ण मानव जाति के विकाश में ठीक उसी प्रकार समर्थ और सार्थक हो सकता है जिस प्रकार वृक्षों के संवर्धन ( निरंतर वृधि ) में जल-वायु व खाद एवं सूर्य के प्रकाश !
मेरे विचार से उत्तम क्षमा और क्षमा का भाव रहना हर इंसान के ह्रदय से होना चाहिए क्योकि सिर्फ मनुष्य के मुँह से कह देना ही काफी नहीं है उत्तम क्षमा तो तभी हो सकती है जब क्षमा दिल से हो !
इसीलिए मेरे विचार से अगर क्षमा करे तो पुरे दिल से करे आप देखना किसी को क्षमा करके आपको भी आनंद महसूस होगा !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा......
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