विचार :-
मेरे विचार से इंसान के सबसे बड़े २ ही शत्रु होते है और वो है चिंता और क्रोध
क्योकि कुछ इंसानों के साथ तो ये निश्चित सा ही हो जाता है की उनका कार्य शुरू तो चिंता से होता है और उसका एक दुखद अंत क्रोध पर हो जाता है !
श्रेणिक जैन आप सब से इतना ही कहना चाहता है की चिंता हमेसा दिमाग को कमजोर बनाती है और क्रोध से चिंता तो बढती ही है और साथ ही साथ रिश्ता भी कमजोर पड़ने लगता है ! इंसान को जहाँ तक हो सके इन दोनों का ही त्याग करना चाहिए क्योकि इनसे कार्य बनने की बजाये सिर्फ बिगड ही सकते है और कुछ नहीं !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
मेरे विचार से इंसान के सबसे बड़े २ ही शत्रु होते है और वो है चिंता और क्रोध
क्योकि कुछ इंसानों के साथ तो ये निश्चित सा ही हो जाता है की उनका कार्य शुरू तो चिंता से होता है और उसका एक दुखद अंत क्रोध पर हो जाता है !
श्रेणिक जैन आप सब से इतना ही कहना चाहता है की चिंता हमेसा दिमाग को कमजोर बनाती है और क्रोध से चिंता तो बढती ही है और साथ ही साथ रिश्ता भी कमजोर पड़ने लगता है ! इंसान को जहाँ तक हो सके इन दोनों का ही त्याग करना चाहिए क्योकि इनसे कार्य बनने की बजाये सिर्फ बिगड ही सकते है और कुछ नहीं !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
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