Thursday, 14 June 2012

भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों की जड़

विचार:-
बहुत से लोगो को मैंने कहते हुवे सुना है की वो अक्सर कहते है की अपने धर्म और धंधे को हमेसा अलग रहना चाहिए लेकिन मेरा ये मानना है की ऐसा हम कभी भी नहीं कर सकते है और ऐसा होना किसी भी तरह से संभव भी नहीं है !
मेरे विचार से तो धंधे में धर्म का समावेश होना चाहिए लेकिन हमने अपने धंधे से धर्म को निकाल के बाहर कर दिया है यही कारण है की धर्म-प्राण देश में भी रिश्वत खोरी, तस्करी और मिलावट जोरो पर है !
और इसके साथ साथ हमारे धर्म में धंधे का समावेश नहीं होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से आजकल ऐसा भी हो गया है जिससे भ्रष्टाचार जैसे तत्व निकल कर सामने आने लगे है !
आगे आप खुद समझदार है की क्या करने से आप कल्याण के पथ पर बढ़ सकते है !


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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