Friday 22 June 2012

वक्त और प्रेम

विचार :-
आज कल पता नहीं लोग इतना क्यों व्यस्त हो गए है पूछने पर ना जाने क्या क्या तर्क वितर्क मिलते है बहुत से लोगो के तर्क ये रहता है की आज की जिंदगी में गति आ गयी है तो हमें भी वक्त से तेज चलना है अगर हम तेज नहीं चले तो दुनिया आगे निकल जायेगी !
कुछ हद तक ये बात सच है लेकिन मेरा पूछना ये है की क्या इस Super-fast जिंदगी में क्या आप अपने अपनों के लिए कुछ वक्त भी नहीं निकाल सकते है ?
क्या आप उन्हें वो प्यार नहीं दे सकते जिसके लिए वो बरसो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे है ?
मुझे नहीं लगता की आपके पास इतना भी वक्त नहीं........!!!!!
श्रेणिक जैन का मानना सिर्फ ये है की दूर रहने वाले सगे भाई से प्रेम करने वाला पडौसी ज्यादा अपना हो जाता है ! अभी भी वक्त है कही ऐसा ना हो बहुत देर हो जाए , गाडी तो स्टेशन से निकल जाए और आप स्टेशन पर ही खड़े अपने वक्त का रोना रोते रह जाये !



श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


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