Friday 8 June 2012

संयम की चुनौती मुक्तक (20)

संयम की चुनौती मुक्तक (20)

जब संयम चुनौती देता है, फिर कर्म घूमने लगते है,
संयमी  मानव  के  फिर  चरण - घूमने  लगते  है !
विपदाए  होती  है  रुकसत  बादल  उड़ने  लगते  है,
धर्मात्मा के संग देव क्या, चाँद तारे भी चलने लगते है !!


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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