Thursday 7 June 2012

चाहत और दृढ विश्वास

विचार :-
मेरे विचार से चाहत और दृढ विश्वास मे बहुत फर्क है
क्योकि हमारी चाहते या ऐसा कहे की हमारी इच्छाएँ तो बदली जा सकती है और बदलती भी रहती ही है लेकिन द्रढता और विश्वास अटल होता है और होना भी चाहिए क्योकि अगर वो अटल नहीं है तो मनुष्य अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता है !
दबाब मे चाहत कमजोर पड़ जाती है जबकि विश्वास और मजबूत होता जाता है
लेकिन इसके लिए यह जरुरी है की हमारे नैतिक मूल्य अच्छे हो, क्योकि जब तक हमारे नातिक मूल्य अच्छे और सच्चे नहीं होगे तब तक हमारा दृढ विश्वास मूल्यवान नहीं होगा क्योकि यही दृढ विश्वास हमे समाज में इतना ऊपर उठा भी सकता है की हमारे कद के सामने सबका कद छोटा हो जाये और इतना नीचे भी गिरा सकता है की हम कभी अपनी नज़रों में भी उठ नहीं पायेगे !


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

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