Wednesday 29 August 2012

एक बार जरुर पढ़े

विचार :-
अलार्म लगाइए, सुबह बजने पर सुनकर भी अनसुना कर (उसे बिना बंद किए) दोबारा सो जाइए। 6-7 दिन ऐसा करेंगे तो इसकी आवाज़ पर नींद खुलनी बंद हो जाएगी और आप बजने पर भी मज़े से सोते रहेंगे। लेकिन यदि आप सुन कर रोज़ उठने लगे तो यकीन मानिये १० दिन बाद किसी किसी घडी की जरूरत नहीं होगी, इसी प्रकार एक दिन खाने में बहुत तेज़ नमक डालिए, उस दिन कड़वा लगेगा, पर कुछ दिन बाद उतना ही नमक अच्छा लगने लगेगा। इसका उल्टा यानि कम करेंगे तो भी ऐसा ही होगा। ऐसे और भी न जाने कितने उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि हमारा शरीर और मन दोनों ही बहुत लचीले होते हैं। जहां और जितना ले जाना चाहो खिंचे चले जाते हैं। यही सत्य जानकर ऋषि-मुनि कठिन से कठिन तपस्या कर लेते थे। आप कुछ भी ठान लें, उसे कर पाएंगे क्योंकि इस शरीर की संभावनाएं अपार हैं। आप भी यह सत्य पहचानिए और आज ही से कहना बंद कर दीजिये, कि क्या करे, हमें तो आदत पड़ गयी है। आदत अपनाना और छोडना दोनों ही बहुत आसान है, बस मन पक्का होना चाहिए, कल से सुबह जल्दी उठिए कुछ योग और प्राणायाम कीजिये या अपने निकट की RSS की शाखा पर जाइये, आवश्यक नहीं आप उनके विचारो से सहमत हो लेकिन अपने शरीर और संकल्प शक्ति के संचार के लिए कुछ करिए, आप अपने दोस्तों का कोई ग्रुप भी बना सकते है और मेरे लायक कोई सेवा हो तो अवश्य बताइयेगा, मैं मित्रो के लिए सदा तत्पर हूँ - सब लोग श्लोक पढ़ते है - त्वमेव माता पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु सखा त्वमेव - तो जब आप को सखा में भी प्रभु के दर्शन हो तभी सच्ची मित्रता है तभी सच्ची आराधना है !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की 

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