विचार :-
मुझ से कुछ लोग पूछते है की क्या है आखिर ये कल्याण ? क्या घर छोड देने से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है ?
मेरा जवाब हमेसा इन सब के जवाबो में ना ही रहता है क्योकि मात्र घर छोडना, मौन धारण करना, देशव्रती होना या देश के लिए बड़ी बड़ी बातें कहना या किसी योगी महात्मा या किसी महाव्रती का वेश धारण करने मात्र से कल्याण की केवल कल्पना मात्र की जा सकती है !
लेकिन श्रेणिक जैन के अनुसार सबसे जरुरी है हमारे अपने भावो की निर्मलता और पवित्रता ! इनके बिना कल्याण और मोक्ष की कल्पना ठीक उसी प्रकार है जैसे पानी के अंदर अपना प्रतिबिम्ब देखना क्योकि हम उसे सिर्फ अपनी आखों से देख सकते है लेकिन वास्तव में उसका कोई अस्तित्व नहीं है !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
मुझ से कुछ लोग पूछते है की क्या है आखिर ये कल्याण ? क्या घर छोड देने से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है ?
मेरा जवाब हमेसा इन सब के जवाबो में ना ही रहता है क्योकि मात्र घर छोडना, मौन धारण करना, देशव्रती होना या देश के लिए बड़ी बड़ी बातें कहना या किसी योगी महात्मा या किसी महाव्रती का वेश धारण करने मात्र से कल्याण की केवल कल्पना मात्र की जा सकती है !
लेकिन श्रेणिक जैन के अनुसार सबसे जरुरी है हमारे अपने भावो की निर्मलता और पवित्रता ! इनके बिना कल्याण और मोक्ष की कल्पना ठीक उसी प्रकार है जैसे पानी के अंदर अपना प्रतिबिम्ब देखना क्योकि हम उसे सिर्फ अपनी आखों से देख सकते है लेकिन वास्तव में उसका कोई अस्तित्व नहीं है !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
सुन्दर विचार..
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