Saturday, 29 December 2012

Shame on india day 29 Dec


Thursday, 27 December 2012

महान कौन

विचार :-



Friday, 21 December 2012

विचार

विचार :-




Wednesday, 24 October 2012

दशहरा का सच

विचार :-



अर्थ हमारे व्यर्थ हो रहे, पापी पुतले अकड़ खड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
कुंभ-कर्ण तो मदहोशी हैं, मेघनाथ भी निर्दोषी है
अरे तमाशा देखने वालों, इनसे बढ़कर हम दोषी हैं
अनाचार में घिरती नारी, हाँदहेज की भी लाचारी-
बदलो सभी रिवाज पुराने, जो घर-घर में आज अड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
सड़कों पर कितने खर-दूषण, झपट ले रहे औरों का धन
मायावी मारीच दौड़ते, और दुखाते हैं सब का मन
सोने के मृग-सी है छलना, दूभर हो गया पेट का पलना
गोदामों के बाहर कितने, मकरध्वजों के जाल कड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
लखनलाल ने सुनो ताड़का, आसमान पर स्वयं चढ़ा दी
भाई के हाथों भाई के, राम राज्य की अब बरबादी।
हत्या, चोरी, राहजनी है, यह युग की तस्वीर बनी है-
न्याय, व्यवस्था में कमज़ोरी, आतंकों के स्वर तगड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
बाली जैसे कई छलावे, आज हिलाते सिंहासन को
अहिरावण आतंक मचाता, भय लगता है अनुशासन को
खड़ा विभीषण सोच रहा है, अपना ही सर नोच रहा है-
नेताओं के महाकुंभ में, सेवा नहीं प्रपंच बड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं

दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ

विचार :-


संकल्प करे

विचार:-


मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हू की कृपा कर ना तो रावण जलाये न ही जलता हुवा देखे और अगर कोई जला रहा हो उसके काम में सहायक भी ना बने !

Wednesday, 17 October 2012