Friday 31 August 2012

आपको कैसे लगे ये नए विचार

विचार :-



आपको कैसे लगे ये नए विचार

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आपको कैसे लगे ये नए विचार

विचार :-


आपको कैसे लगे ये विचार

विचार:-



Wednesday 29 August 2012

एक बार जरुर पढ़े

विचार :-
अलार्म लगाइए, सुबह बजने पर सुनकर भी अनसुना कर (उसे बिना बंद किए) दोबारा सो जाइए। 6-7 दिन ऐसा करेंगे तो इसकी आवाज़ पर नींद खुलनी बंद हो जाएगी और आप बजने पर भी मज़े से सोते रहेंगे। लेकिन यदि आप सुन कर रोज़ उठने लगे तो यकीन मानिये १० दिन बाद किसी किसी घडी की जरूरत नहीं होगी, इसी प्रकार एक दिन खाने में बहुत तेज़ नमक डालिए, उस दिन कड़वा लगेगा, पर कुछ दिन बाद उतना ही नमक अच्छा लगने लगेगा। इसका उल्टा यानि कम करेंगे तो भी ऐसा ही होगा। ऐसे और भी न जाने कितने उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि हमारा शरीर और मन दोनों ही बहुत लचीले होते हैं। जहां और जितना ले जाना चाहो खिंचे चले जाते हैं। यही सत्य जानकर ऋषि-मुनि कठिन से कठिन तपस्या कर लेते थे। आप कुछ भी ठान लें, उसे कर पाएंगे क्योंकि इस शरीर की संभावनाएं अपार हैं। आप भी यह सत्य पहचानिए और आज ही से कहना बंद कर दीजिये, कि क्या करे, हमें तो आदत पड़ गयी है। आदत अपनाना और छोडना दोनों ही बहुत आसान है, बस मन पक्का होना चाहिए, कल से सुबह जल्दी उठिए कुछ योग और प्राणायाम कीजिये या अपने निकट की RSS की शाखा पर जाइये, आवश्यक नहीं आप उनके विचारो से सहमत हो लेकिन अपने शरीर और संकल्प शक्ति के संचार के लिए कुछ करिए, आप अपने दोस्तों का कोई ग्रुप भी बना सकते है और मेरे लायक कोई सेवा हो तो अवश्य बताइयेगा, मैं मित्रो के लिए सदा तत्पर हूँ - सब लोग श्लोक पढ़ते है - त्वमेव माता पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु सखा त्वमेव - तो जब आप को सखा में भी प्रभु के दर्शन हो तभी सच्ची मित्रता है तभी सच्ची आराधना है !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की 

Friday 17 August 2012

एक दम सच

विचार :-
 एक दम सच बात


एक गाना

विचार :-
कितना सार्थक बन पड़ा है ये हिंदी फिल्म जगत का एक गीत आज के देश के नाम


जाने कहाँ ... गए वो दिन , कहते थे तेरी राह में नज़रों को हम बिछाएंगे
जाने कहाँ ... गए वो दिन , कहते थे तेरी राह में नज़रों को हम बिछाएंगे
चाहे कहीं भी तुम रहो , चाहेंगे तुमको उम्र भर तुमको ना भूल पाएंगे

मेरे कदम जहां पड़े , सजदे किये थे यार ने
मेरे कदम जहां पड़े , सजदे किये थे यार ने
मुझको रुला रुला दिया जाती हुई बहार ने

जाने कहाँ ... गए वो दिन , कहते थे तेरी राह में नज़रों को हम बिछाएंगे
चाहे कहीं भी तुम रहो , चाहेंगे तुमको उम्र भर तुमको ना भूल पाएंगे


अपनी नज़र में आज कल , दिन भी अन्धेरी रात है
अपनी नज़र में आज कल , दिन भी अन्धेरी रात है
साया ही अपने साथ था , साया ही अपने साथ है

जाने कहाँ ... गए वो दिन , कहते थे तेरी राह में नज़रों को हम बिछाएंगे

चाहे कहीं भी तुम रहो , चाहेंगे तुमको उम्र भर तुमको ना भूल पाएंगे




Thursday 16 August 2012

आरज़ू और इन्तेज़ार की जिंदगी की अकड

विचार :-
किसी ने सच ही कहा है की जिंदगी के चार ही दिन होते है और वो चार दिन भी दो आरज़ू में और दो इन्तेज़ार में कट जाते है ! इससे आगे बढे तो इंसान की सिर्फ दो दिन की कुल जिंदगी है और उन दो दिनों में से एक दिन मौत का भी आता है अब बचा एक दिन फिर पता नहीं क्यों ? इंसान किस चीज़ पर इतना अकड़ता फिरता है ?
जिंदगी की हैसियत एक मुट्ठी राख से ज्यादा कुछ नहीं लेकिन इंसान है की उसी एक मुट्ठी राख पर इतरा रहा है !
श्रेणिक जैन

Monday 13 August 2012

सफ़ेद दूध और सफ़ेद खून का आश्चर्य

विचार :-
आज मैंने एक खबर पढ़ी की कुछ बुद्धिजीवी लोग इस बात पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे है की महापुरषो के शरीर का रक्त सफ़ेद होता है और इस पर रिसर्च भी चल रही है की आखिर ऐसे कैसे होता था और होता भी था या नहीं ?
मुझे उन लोगो के आश्चर्य पर आश्चर्य होता है क्योकि एक साधारण सी महिला जब बच्चे को जन्म देती है तो उसके खून से भरे शरीर में स्तनों में भी दूध ( जिसका रंग सफ़ेद होता है ) कैसे और कहा से आ गया !
माँ बेटे का रिश्ता प्रेम-दया- करुणा- वात्सल्य का होता है और उस पवित्रता के कारण ही दूध भी सफ़ेद हो जाता है ! लेकिन आज के इन बुद्धिजीवी इंसान रूपी जानवर को कैसे समझाऊ की महापुरषो पर संदेह करना व्यर्थ है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Saturday 11 August 2012

कश्मीर धरती पे स्वर्ग?? हाँ बिलकुल हो सकता है...

ये विचार नहीं देश की सच्चाई है शायद


अभी पिछले दिनों २० अप्रैल २०१२ को इस्लामाबाद के रिहायशी इलाके पे यात्री हवाई जहाज़ गिरने की खबर टीवी पे देखि | देख कर लगा की वहाँ के लोगो को भी उतना ही दर्द होता है जितना हम भारत वासिओं को किसी अपने के जाने का होता है | उस दुर्घटना में १२७ लोग मारे गए जिनमे बच्चे, बूड़े, जवान सभी तरह के लोग थे| मरने वाले लोगो के रिश्तेदार एक आम इंसान की तरह ही बिलख रहे थे | मरने वालों में एक नवविवाहित दम्पति भी थी जो हनीमून की यादें संजोय हुए वापिस आ रहे थे | एक आदमी अपने साले की शादी पे जा रहा था | लेकिन नहीं पहुँच पाया |


मेरा सीधा सीधा मतलब यह है की वहाँ और यहाँ की आम जनता में कोई फर्क नहीं है | वो भी अपनी सरकार से दुखी है और हम भी | वो भी आये दिन आतंक की घटनओं से परेशान हैं और हम भी | उनका देश हमारे देश से ज्यादा गरीब है इसलिए वहाँ भ्रष्टाचार करोड़ो में होता है और यहाँ अरबों में | दोनों तरफ भ्रष्टाचार से आम नागरिक बेहद दुखी हैं लेकिन असहाय भी |


वहाँ अगर अफरीदी के शतक पे मिठाई बांटी जाती है तो यहाँ सचिन के शतक पे पटाखे फोड़े जाते है | वहाँ हिंदी गाने सुनने का शौंक रखती है नौजवान पीड़ी तो यहाँ लोग आतिफ असलम याँ फ़तेह अली खान के दीवाने है | अमरीका में अगर उनकी कोई इज्ज़त नहीं तो वहाँ हमारे शाहरुख को भी बहुत जलील किया है अमरीका ने | लोग वहाँ भी विदेश में पड़ना और रहना चाहते है और हमारे लोग भी कुछ इसी तरह का सपना देखते है |


कुछ साल पहले की बात है | उस साल भारतीये क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान का दौरा किया था | यह वो दौरा था जिसमे सहवाग ने मुल्तान में तिहरा शतक लगाया था | उस पूरी श्रंखला में पाकिस्तान नागरिकों ने भारतीय खिलाडियों और भारतीय नागरिक जो यहाँ से मैच देखने गए थे का तहे दिल स्वागत किया था | मेरे एक मित्र जो वहाँ लाहोर का आखिरी एकदिवसीय मैच देखने गए थे, ने हमें बताया की किस तरह उनका स्वागत हुआ वहाँ | लोगो ने उन्हें सर आँखों पे बिठा के रखा | अपने घरों में खाने की दावत दी | ढेर सारे उपहार दिए | आज भी कभी कभी फोन पे बात करते है वो लोग आपस में |  उनके घर भी हमारे घरों जैसे ही है | उनमे और उनके बच्चो में भी अच्छे संस्कार झलकते हैं|


अगर सब कुछ एक जैसा है तो फिर भी आपस में दुश्मनी क्यों ? एक दूसरे को निचा दिखने के लिए कमजोर दिखने के लिए अरबों रुपयों का खर्चा क्यों ? क्यों अगर पाकिस्तान आस्ट्रलिया से भी हारता है तो हमें खुशी मिलती है ?


क्योंकि लालची, मतलबी और कुर्सी के लिए कुछ भी करने वाले नेता दोनों ही देशों में है | धार्मिक कट्टरता के चलते जिनकी रोटी चलती है और धार्मिक नेता होने का अहंकार पालने वालों की भी दोनों देशों में भरमार है | बेरोज़गार और अनपड़ लोगो की भीड़ दोनों ही तरफ है | अपनी TRP बढानें के लिए किसी भी हद तक गिरने वाले खबरी चैनेल भी दोनों तरफ पैर पसारे हुए है |



सो जब तक दोनों देशों की जनता को यह समझ में नहीं आएगा की इन लोगो से कैसे छुटकारा हो, कुछ नहीं हो सकता | हाँ अगर दोनों मुल्कों की जनता जाग जाती है तो फिर तो क्या ही कहने| चलिए एक और कल्पना करते हैं| मान लीजिए की अगर दोनों देश की जनता अपनी अपनी सरकारों पे दबाव बनाये और एक १५-२० साल की योजना तैयार हो, तो जैसा की हम बचपन से सुनते आये है, कश्मीर सच में स्वर्ग बन सकता है |


योजना बेहद आसान है लेकिन रातो रात बदलाव वाली तो नहीं होगी |कम से कम १५-२० साल तो रखने पड़ेंगे | अगर दोनों देशों की सभी राजनितिक पार्टियां इन दोनों देशों को एक करने को राज़ी हो तो सबसे पहले धार्मिक कट्टर लोगो पे लगाम लगाई जानी चाहिय | किसी भी जगह "जात" "पात" याँ धर्म का उलेख नहीं होना चाहिय | धर्म परिवार याँ बरादरी तक ही सिमित हो | एक दूसरे को निचा दिखाने वाली ख़बरों पे रोक लगे | उग्रवादिओं को मिल कर याँ सुधारा जाये याँ निपटा देना चाहिए | फिर एक सबसे बड़ी मुश्किल यह होगी की इस दो से एक हुए राष्ट्र का नाम क्या हो ? पाकिस्तान याँ भारत तो नहीं हो सकता | तो क्यों न इसका नाम "कश्मीर" रखा जाये| कश्मीर को आधा आधा बांटने से अच्छा नहीं की इसे दोनों देशों को जोड़ के उसका नाम कश्मीर हो जाये |


जनता का कितना पैसा बचेगा जो जनता की भलाई के लिए लगाया जा सकेगा | पैसा बचेगा जो नए नए उधोग लगाने के काम आएगा| जिससे बेरोज़गारी नहीं रहेगी | बेरोज़गारी नहीं रहेगी तो आतंकवादी कहाँ से पैदा होंगे |  हमारा कश्मीर इतना खुशहाल होगा की हमारे लोगो को विदेश जाकर बेईज्ज़त नहीं होना पड़ेगा | शाहरुख खान को कोई भी शक की निगाह से नहीं देखेगा | और सोचिये युवराज और अफरीदी साथ साथ होंगे तो आस्ट्रलिया की कितनी धज्जियां उड़ायेंगे | खुशहाल कश्मीर घाटी ऐसी होगी की लोग स्विट्जर्लैंड भूल जायेंगे |
मैं जब चाहे लाहोर शोपिंग के लिए जा सकूंगा और मेरा व्यापार कितना फैलेगा |


लेकिन क्या यह संभव है ? नहीं शायद :( क्योंकि जो चाहते है वो बोलेंगे नहीं और जो नहीं चाहते है वो अपनी दुकानदारी क्यों बंद करना चाहेंगे ! वो तो अच्छे से जी ही रहें हैं| उन्हें जनता से क्या लेना देना | अभी मैं भी सोने लगा हूँ कोई और सपना देखूंगा तो जरुर आप सबके बीच रखूँगा | लेकिन फिर भी दिल से एक दुआ करना की यह सपना सच हो जाये | हमारे लिए न सही हमारे बच्चो के खुशहाल भविष्य के लिए ही सही |


शुभ रात्रि.....धन्यवाद जी
जय जिनेन्द्र देव की

Friday 10 August 2012

घ्रणा का फल

विचार :-

एक बाग़ में एक सुन्दर कलि फूटी ,वही जमींन पर एक पत्थर का टुकडा पड़ा था, किसी आने -जाने वाले से उस पत्थर को ठोकर लग गयी, यह देखकर वह कली हंस पड़ी -'' मुझे देखकर सब खुश हो जाते है पर तुझे देखकर सब ठोकर लग जाने से दुखी ही होते है ''|
दैवयोग से एक कारागीर वहाँ से गुजरा और उसे वह पत्थर बहुत पसंद आया और वह पत्थर के उस टुकड़े को ले गया, उसकी मूर्ति बनाकर मंदिर में प्रतिष्ठित करवा दी, तब तक कली भी फूल बन गयी थी, उसे किसी व्यक्ति ने तोड़कर उसी मूर्ति के सामने भेंट कर दिया, तब उस मूर्ति ने कहा -''अरे तुम तो मेरी हंसी उडाती थी ,आज यहाँ मेरे चरणों में आकर क्यों पड़ी हो ?"
तब उस फूल को बात समझ आई और उसने कहा - "किसी के प्रति घृणा भाव ( तिरस्कार भाव ) रखोगे तो हालत मेरे जैसी ही हो जायेगी |''
तो बंधू हमें भी अपनी जिंदगी में घ्रणा भाव नहीं रखना चाहिए !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 8 August 2012

आसन का मोह

विचार :- यह विचार देश के कुछ भ्रष्ट नेताओ के नाम :-
वर्तमान में सबसे भ्रान्ति ये बन गयी है की अगर मेरे पास आसन ( कुर्सी ) है तो मेरे पास सब कुछ है इसीलिए पता नहीं क्यों हर किसी को आसन से इतना मोह हो गया है की एक बार बैठ जाए तो उठने का नाम ही नहीं लेता चाहे उस मंत्री का आचरण से कोसो दूर तक कोई नाता ना हो परन्तु आसन से उनका रिश्ता ऐसा हो जाता है जैसे दूध से मक्खी का !
परन्तु हे नेताओ एक बात जान लो ये कुर्सी ना तो कभी किसी की थी ना ही होगी जाने कितने नेता आये और गए लेकिन जनता कभी कम नहीं हुई आसन पर बैठने मात्र से आप महाजन नहीं बन सकते उसके लिए आचरण होना जरुरी है !
जैन कथाओ के अनुसार जिनेन्द्र देव को कभी रत्नामयी आसन नहीं भाता है और वे अपने आसन से हमेसा चार अंगुल उप्पर विराजमान होते है !
यही नहीं हिंदू मान्यताओ के अनुसार भी शिव कभी रत्न से जड़े आसन पर नहीं बल्कि कैलाश पर पत्थर की शिला पर विराजमान होते है उनके ही भगवान विष्णु कभी रत्नों के सिंघासन पर नहीं बल्कि शेषनाग पर आसन ग्रहण करते है ! ऐसे ही ना जाने कितने उदाहरण है !
तो बंधुओ आसन से राग छोड कर वीतरागता को अपनाने में ही सद्गति को प्राप्त किया जा सकता है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Tuesday 7 August 2012

कल्याण

विचार :-
मुझ से कुछ लोग पूछते है की क्या है आखिर ये कल्याण ? क्या घर छोड देने से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है ?
मेरा जवाब हमेसा इन सब के जवाबो में ना ही रहता है क्योकि मात्र घर छोडना, मौन धारण करना, देशव्रती होना या देश के लिए बड़ी बड़ी बातें कहना या किसी योगी महात्मा या किसी महाव्रती का वेश धारण करने मात्र से कल्याण की केवल कल्पना मात्र की जा सकती है !
लेकिन श्रेणिक जैन के अनुसार सबसे जरुरी है हमारे अपने भावो की निर्मलता और पवित्रता ! इनके बिना कल्याण और मोक्ष की कल्पना ठीक उसी प्रकार है जैसे पानी के अंदर अपना प्रतिबिम्ब देखना क्योकि हम उसे सिर्फ अपनी आखों से देख सकते है लेकिन वास्तव में उसका कोई अस्तित्व नहीं है !


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Friday 3 August 2012

शरीर और आत्मा

विचार :-
श्रेणिक जैन के अनुसार जिस प्रकार मनुष्य के द्वारा चलाया गया गतिशील यंत्र ( चलने वाला यंत्र ) जो स्वयं गति रहित होता है उसी तरह जीव के द्वारा धारण किया हुवा शरीर स्वयं गति रहित है, जड़ है !
ठीक उसी प्रकार यह शरीर घृणित दुर्गन्ध से युक्त है और संताप ही उत्पन्न करने वाला है इसीलिए इस शरीर में अनुराग करना व्यर्थ है ! मैं ये नहीं कहता की इससे मोह छोड कर खाना पीना ही छोड दो बल्कि मैं ये कहता हू की जीने के लिए जितना जरुरी उतम अनुराग इस शरीर से रखो ना की सिर्फ इस शरीर के लिए जियो !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा